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भरतपुर

चाय वाला डिजिटल, नेशनल पार्क मांग रहा चिल्लर

Chai Wala Digital, Chillar asking for National Park
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी विहार में विदेशी पयर्टकों को टिकट के चुकाने पड़ रहे हैं 761 रुपए और देशी पयर्टक चुका रहे हैं 126 रुपए, डिजिटल पेमेंट सुविधा नहीं होने के कारण पर्यटक पक्षियों को देखने से पहले चिल्लर का इंतजाम करते दिखते हैं।

भरतपुरDec 08, 2022 / 05:05 pm

Gaurav

चाय वाला डिजिटल, नेशनल पार्क मांग रहा चिल्लर

चाय वाला डिजिटल, नेशनल पार्क मांग रहा चिल्लर

केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी विहार (Ghana): चिडिय़ाओं के पंख गिनने से पहले विदेशी पर्यटकों को गिनना होता है एक रुपया, दो रुपया
देश-दुनिया में ख्याति, फिर भी नहीं होता डिजिटल भुगतान, एटीएम तक नहीं

भरतपुर. 21वीं सदी का भारत नित नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। खास तौर से डिजिटल युग की शुरुआत में देश की भूमिका अग्रणी है। यही वजह है कि चाय की चुस्की से लेकर तरकारी भी डिजिटल भुगतान (Digital payment) से खरीदी जा रही हैं, लेकिन देश-दुनिया में खास पहचान रखने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अभी तक टिकट के रूप में लिए जाने वाले पैसे चिल्लर के रूप में मांग रहा है। इससे देशी के साथ विदेशी सैलानियों को कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है। नेशनल पार्क की खिडक़ी पर ऑनलाइन भुगतान की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में नकद भुगतान यहां पर्यटकों के लिए आफत बना हुआ है।

देशभर में हर छोटी से बड़ी दुकान पर डिजिटल भुगतान हो रहा है। इसमें एप स्केनर, कार्ड स्वेप करने, गूगल, पेटीएम एवं फोन-पे सहित बहुतेरे तरीकों से डिजिटल भुगतान किया जा रहा है, लेकिन देश-विदेश से घना की खूबसूरती एवं पर्यटकों की अठखेलियां देखने आने वाले पर्यटकों को यहां डिजिटल भुगतान सुविधा नहीं मिल रही है। यहां पहुंचने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों से सिर्फ नकद भुगतान ही लिया जा रहा है। ऐसे में खुल्ले पैसे देने की प्रक्रिया यहां सैलानियों के लिए गलफांस बन गई है। सबसे ज्यादा मुश्किल यूं आ रही है कि ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया नहीं होने के साथ यहां एटीएम की भी व्यवस्था नहीं है।

झगड़े की आ जाती है नौबत
घना में पीक सीजन दिसम्बर से फरवरी माह तक माना जाता है। इसमें भी 25 दिसम्बर (क्रिसमस) से लेकर थर्टी फस्र्ट और पहली जनवरी तक खासी भीड़ जुटती है। इन दिनों में एक दिन में दो से ढाई हजार पर्यटक यहां पहुंचते हैं। इसके लिए टिकट खिडक़ी पर लंबी लाइन लगती है। कई बार यह लाइन खिडक़ी से लेकर गेट तक आ जाती है। कतार लगने का मुख्य कारण ऑनलाइन भुगतान नहीं होना है। खिडक़ी पर तैनात कार्मिक हर पर्यटक से नकद और खुले पैसे मांगते हैं। टिकट की दर भी बेतुके से फिगर में है। ऐसे में पर्यटकों की परेशानी और बढ़ जाती है। खुले पैसे नहीं होने के कारण कई बार यहां वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है। वजह, कार्मिक खुले पैसों के लिए दवाब बनाते हैं, जो अक्सर देशी-विदेशी पर्यटकों के पास नहीं होते हैं।

घना में टिकट
देशी पर्यटक – 126 रुपए
विदेशी पर्यटक- 761 रुपए
विद्यार्थी – 46 रुपए


करेंगे समाधान
जल्द समाधान कराया जाएगा। पर्यटक सुविधाजनक टिकट ले सकें। डिजिटल पेमेंट की सुविधा शुरू कराई जाएगी।
-नाहर ङ्क्षसह, डीएफओ, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

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