मंत्री भी जता चुके नाराजगी प्रभारी मंत्री ने क्षेत्र में जनसुनवाई की तो सबसे ज्यादा शिकायत सड़कें तोडऩे की सामने आईं। इसको लेकर अधिशासी अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से प्रोजेक्ट मैनेजर मैसर्स आईवीआरसीएल एवं मैसर्स जीए इन्फ्रा प्रा.लि. को पत्र लिखा था। इसमें कहा था कि चंबल आधारित क्षेत्रीय पेयजल परियोजना 283 गांवों के कलस्टर के तहत पाइप लाइन बिछाने के दौरान तोड़ी गई सड़कों की मरम्मत नहीं कराई गई है।
चम्बल परियोजना एक नजर में जिले को चम्बल पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चम्बल धौलपुर-भरतपुर परियोजना स्वीकृत की गई। इस परियोजना में भरतपुर जिले की तहसील भरतपुर के 157 गांव, कुम्हेर के 117, रूपवास के 142 गांव, नगर के 164, डीग के 119, कामां के 114 एवं पहाड़ी 132 गांवों सहित कुल 945 गांवों को वर्ष 2001 की जनगणना अनुसार एवं परियोजना की पाइप लाइन के रास्ते के जिले धौलपुर की तहसील धौलपुर के 62 गांव एवं तहसील सैंपऊ के 44 गांव के साथ धौलपुर के कुल 106 गांवों सहित कुल 1051 गांव व भरतपुर जिले के पांच शहरों भरतपुर, कुम्हेर, नगर डीग एवं कामां को लाभान्वित किया जाना है।
20 साल में भी पानी की आस अधूरी धौलपुर-भरतपुर परियोजना के पहले भाग की मूल स्वीकृति निर्धारण समिति की बैठक में 6 जुलाई 1999 में 166.50 करोड़ रुपए की जारी की गई थी। इसके बाद संशोधित स्वीकृति 28 जनवरी 2013 में 548.68 करोड़ की जारी की गर्ई। इसके तहत चम्बल धौलपुर से भरतपुर तक आधारभूत संरचना एवं भरतपुर जिले के 93 गांवों, धौलपुर के 106 गांवों को लाभान्वित किया जाना स्वीकृत किया गया। योजना को बने करीब 20 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी भी कई गांवों को इस परियोजना से पानी नहीं मिल सका है।
यह बोले विधायक क्षेत्र के बहुत सारे गांवों में चम्बल का एक बूंद भी पानी नहीं पहुंचा है। खुदाई से रास्ते बदहाल हैं। इसको लेकर कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। लोगों को चंबल के पानी से बहुत उम्मीद हैं, जो अब निराशा में बदल रही हैं। हाल ही में केबिनेट मंत्री रमेश मीणा ने जनसुनवाई की थी। इसमें सबसे ज्यादा शिकायत चंबल पेयजल संबंधी आईं। फिर भी सुधार नहीं हो सका है। परियोजना का काम धरातल पर नहीं होकर कागजों में ही नजर आ रहा है। काम पूरा करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन मिलीभगत के चलते इसमें लीपापोती हो रही है।
– वाजिब अली, विधायक नगर इनका कहना है टूटी सड़कों की ठेकेदार मरम्मत करा रहा है। मीटर हमारे नहीं हैं, वह रेगूलर वालों के हैं। लोगों की ओर से अवैध कनेक्शन करने से दिक्कत आ रही है। कई लोग अवैध कनेक्शन के लिए सीसी तक को तोड़ देते हैं। पानी पहुंचाने के लिए टेस्टिंग चल रही है।
– के.सी. मीणा, अधीक्षण अभियंता चम्बल परियोजना