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भरतपुर

तस्वीर बदलने की धुन, कूड़े में नहीं किताबों में हो बचपन

– झोंपड़-पट्टी में जाकर संवार रहीं बचपन

भरतपुरMar 08, 2021 / 04:40 pm

Meghshyam Parashar

तस्वीर बदलने की धुन, कूड़े में नहीं किताबों में हो बचपन

तस्वीर बदलने की धुन, कूड़े में नहीं किताबों में हो बचपन

भरतपुर . कूड़े के ढेर में खपते बचपन को देखकर उनका मन भर आता है। यह बात उन्हें खूब सालती है कि देश का भविष्य कचरे में दो जून की रोटी टटोल रहा है। बस इसी तस्वीर को बदलने के जुनून ने उन्हें झोंपड़-पट्टियों की चौखट तक पहुंचा दिया है। उनकी जिद है कि बचपन हमेशा खिलखिलाता रहे। इसी जिद-जुनून का परिणाम है कि आज 60 से अधिक बच्चे शिक्षा सहित अन्य बुनियादी जरूरतों से जुड़ रहे हैं। यह संभव किया है समाजसेवा में शिद्दत से जुटी डॉ. सोनिया शर्मा ने।
स्वास्थ्य मंदिर सेवा संस्थान से जुड़ीं डॉ. सोनिया शर्मा कोटा से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने फिजियोथैरेपी की डिग्री हासिल करने के बाद अपने कैरियर में सेवा के क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। यह डगर एक महिला के लिए खासी चुनौतीपूर्ण और परेशानियां भरी थीं, लेकिन उनके हौसलों के चलते यह राह भी उनके लिए राहत भरी हो गई है। डॉ. सोनिया बताती हैं कि वह अपने सर्वे में ऐसे बच्चों को शामिल करती हैं, जो कबाड़ा बीनकर या भीख मांगकर अपना जीवनयापन करते हैं। ऐसे बच्चों की वह स्वास्थ्य मंदिर में भोजन, शिक्षा, संस्कार एवं बुनियादी जरुरतें पूरी कर उनकी तस्वीर बदल रही हैं। उन्होंने इस प्रकल्प का नाम ‘खिलता बचपन, संवरता जीवन दिया है। इसमें
फिलहाल 66 बच्चे आ रहे हैं।

द्वार-द्वार पहुंच रहीं दीदी
डॉ. सोनिया ऐसे बच्चों का जीवन संवारने के लिए झोंपड़-पट्टियों तक पहुंचती हैं। बस्ती में पहुंचते ही बच्चे इनके पास आकर स्नेह से दीदी संबोधित करके इनके साथ चलने की जिद करते हैं। इनमें से डॉ. सोनिया ऐसे बच्चों का चयन करती हैं, जो पढ़ाई से दूर हैं और मजबूरन कचरा बीनने जाते हैं। वह ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य मंदिर लाकर उनका जीवन संवारने का काम करती हैं।
दानदाताओं के सहयोग से चल रहा काम

डॉ. सोनिया शर्मा बताती हैं कि बच्चों को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए पौष्टिक भोजन दिया जाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंदिर में दानदाताओं के सहयोग से बच्चों को भोजन सहित अन्य बुनियादी जरुरतें पूरी की जा रही हैं। वह बताती हैं कि कई लोग बच्चों के लिए अपना जन्मदिन मनाने अथवा अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि मनाने पहुंचते हैं। इस दिन बच्चों को स्पेशल खाना दिया जाता है। प्रतिदिन बच्चों को दाल-रोटी, चावल एवं केला दिए जाते हैं।

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