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भरतपुर

संकट में वर्तमान फिर भी भविष्य सुधारने की कमान

-तीन चौथाई निजी शिक्षकों को न पगार मिलती पूरी न कट रहा है पीएफ

भरतपुरJul 02, 2020 / 05:27 pm

Meghshyam Parashar

संकट में वर्तमान फिर भी भविष्य सुधारने की कमान

संकट में वर्तमान फिर भी भविष्य सुधारने की कमान

भरतपुर. बच्चों का भविष्य बनाने वाले टीचर्स का वर्तमान संकट में है। योग्य इतने कि उनके पढ़ाए बच्चों को कोई कॉलेज-यूनिवर्सिटी तो क्या सरकारी नौकरी के कम्पीटिशन में बैठने से भी नहीं रोक सकता पर अयोग्य इतने कि न वे ग्रेच्युटी के हकदार है न पीएफ के। अपने रिटायरमेंट पर केवल पुष्पगुच्छ के साथ घर पहुंच जाते हैं। उनकी पेंशन का कोई ठौर-ठिकाना नहीं तो उनकी पगार भी परिवार के लिए पूरी नहीं पड़ती। ये निजी स्कूल के शिक्षक हैं जो अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पाते या फिर उनके हक में कोर्ट हो या विभाग, फैसले करके भूल जाते हैं। उन्हें लागू नहीं करा पाता। हजारों विद्यार्थियों को योग्य बनाने वाले ये द्रोणाचार्य घर की जिम्मेदारी निभाने में भी परेशानी का सामना कर रहे हैं। बताते हैं कि 75 प्रतिशत निजी स्कूलों के टीचर्स पीएफ से दूर है और न ही इनकी कोई ग्रेच्युटी बनती है। जबकि सवा साल पहले सरकार ने आदेश में कहा था कि भले ही स्कूल में तीन टीचर/कर्मचारी हो, इनका पीएफ कटना चाहिए। इसके बाद आदेश ताक पर रख दिया गया। भले ही उदाहरण के तौर पर पेट्रोल पंप के कर्मचारियों का पीएफ अवश्य कटता नजर आता है।
बंद पड़ा हुआ है डिप्लोमा

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने नेशनल डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन शुरू किया था। इसे करने पर टीचर ट्रेंड की श्रेणी में आ जाना था। फिलहाल यह भी बंद है। क्योंकि इस डिप्लोमा की एक शर्त यह थी कि वह निजी स्कूलों में ही पढ़ा जाएगा। उधर, ट्रेंड-अनट्रेंड टीचर को लेकर भी लंबी बहस है। योग्यता का दायरा चेक ही नहीं हो पाता। प्रशिक्षित टीचर्स को पूरा मेहनताना नहीं मिल रहा। वैसे वर्षों पहले बने नियम के अनुसार बीएड/एसटीसी होल्डर को ही टीचर के रूप में रखा जा सकता है।
योग्यता के अनुसार नहीं मिलता मानदेय

सूत्रों के अनुसार वर्षों से प्राइवेट स्कूल के टीचर्स को उनकी योग्यता के अनुरुप ठीक ढंग से मानदेय तक नहीं मिल पा रहा। नो प्रॉफिट-नो लॉस का नाम लेकर निजी स्कूलों के शिक्षकों को जो मिल रहा है, उसी में संतोष करना पड़ रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि जिले के सारे स्कूलों में ऐसा हो, कुछ स्कूलों में टीचर्स को मानदंड के अनुसार तो नहीं लेकिन उससे कुछ हद तक पगार मिल रही है। दरअसल बाकी के स्कूलों पर न कोई मॉनिटरिंग है न तय गाइडलाइन के अनुसार टीचर्स-स्टाफ की पगार के साथ पीएफ नहीं काटने पर कोई कार्रवाई। हकीकत यह है कि शिक्षा विभाग की इंस्पेक्शन प्रक्रिया में ऐसी अवहेलना को नोटिस में ही नहीं लाया जाता। शायद यही वजह है कि प्राइवेट स्कूलों में टीचर्स की दशा नहीं सुधर रही है।
इधर, निजी शिक्षक महासंघ ने जिला कलक्टर को सौंपा ज्ञापन

निजी शिक्षक महासंघ के बैनर तले निजी शिक्षकों की समस्याओं को लेकर जिला कलक्टर व डीईओ को पांच सूत्री ज्ञापन सौंपा गया। भरतपुर शहर अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी के संकट के दौर में निजी शिक्षक दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं। पांच सूत्री मांग में निजी शिक्षकों के वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए ज्ञापन सौंपा एवं अति शीघ्र बकाया और लॉकडाउन वेतन की मांग की। उनका वेतन ऑनलाइन बैंक खातों के माध्यम से दिया जाए। पीएफ की कटौती हो, लॉकडाउन की अवधि में किसी भी स्कूल शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया जाए एवं सभी शिक्षकों को 12 माह का वेतन सुनिश्चित हो। ज्ञापन देने के मौके पर जिला अध्यक्ष करतार सिंह चौधरी ने जिला कलेक्टर को विस्तार से मांगों से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल में दीप सिंह, सक्षम मिश्रा, लव कुमार सूरौता आदि मौजूद रहे।

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