जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग की ओर से हाल में जो लॉटरी निकली थी, उसमें ग्राम पंचायत बिनउआं में समूह संख्या-18 की कंपोजिट शराब ठेके की दुकान है। यह ठेका इससे पहले गांव बिनउआं में बरबार मार्ग पर संचालित होता आया है। यह इलाका ग्रामीण क्षेत्र का होने से यहां पर ज्यादा बिक्री नहीं है। इस पर नए अनुज्ञापत्रधारी ठेकदार ने बरबार मार्ग पर निर्धारित प्वाइंट की बजाय ठेके को चैकोरा ग्राम पंचायत इलाके में रूपवास कस्बा और धौलपुर हाई-वे के निकट खोल दिया।
राजस्व विभाग के नियमानुसार कृषि भूमि का रूपांतरण करवा बिना न तो कोई दुकान बनवा सकता है। न ही उस पर कोई दुकान संचालित कर सकता है। वहीं, कस्बे के बरबार मार्ग पर खुलने वाले ठेके को अनुज्ञापत्रधारी ने आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर उसे बिनउआं गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर चैकोरा ग्राम पंचायत के कुंदनवाडा में खोल दिया। वहीं, आबकारी विभागी की बात करें तो शराब ठेका खोलने के लिए दुकान का किरायानामा होना अनिवार्य है। साथ ही दुकान की फाउण्डेशन होनी चाहिए। यहां पर दोनों ही नियमों को धता बताया जा रहा है। जो दुकान खुली है वह एक लोहे के कंटेनर में संचालित है, उसका जमीन में कोई फाउण्डेशन भी नहीं है।
चैकोरा ग्राम पंचायत के कुंदनवाडा में खुली दुकान की बिक्री बढ़ाने के लिए ठेकेदार ने ऊंचा नगला-धौलपुर हाई-वे संख्या 123 के पास शराब ठेके प्रचार का एक बोर्ड भी लगा रखा है। जिस स्थान पर बोर्ड लगा है, उस रास्ते से वर्तमान में यातायात कस्बा होकर संचालित है। रेलवे का फ्लाईओवर का निर्माण नहीं होने से वाहन शराब ठेके के सामने से होकर गुजरते हैं। नियमानुसार शराब का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता। नियमों की हो रही खुलेआम अनदेखी पर आबकारी विभाग भी आंखें मूंद कर बैठा है। गत दिनों तहसीलदार भी दुकान की जांच कर चुके हैं। इसमें उन्हें कई खामियां मिली जिसकी उन्होंने उच्चाधिकारियों को शिकायत की है। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि शराब ठेके का फाउण्डेशन अनिवार्य है। साथ ही दुकान का किरायानामा जमा होता है। बिनउआं ठेके की शिकायत मिली है। मामले में समिति गठित कर जांच कराई जाएगी।