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भरतपुर

भरतपुर की पलकों पर बेसहारा बच्चे

-कई संस्थाओं ने आगे आकर की मदद, पढ़ाई की जिम्मेदारी और राशन की हुई व्यवस्था, जिंदगी के साथ घर भी रहेगा रोशन

भरतपुरNov 26, 2021 / 10:05 am

Meghshyam Parashar

भरतपुर की पलकों पर बेसहारा बच्चे

भरतपुर की पलकों पर बेसहारा बच्चे

भरतपुर . कैंसर से पिता की मौत और कोरोना से मां की ममता छिनने के बाद बेसहारा हुए चार बच्चों को भरतपुर के भामाशाहों ने पलकों पर बिठाया है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ उनके राशन की व्यवस्था दानदाताओं ने की है। वहीं बच्चों के घर का बिजली का बिल भी भामाशाह भरेंगे। अन्य संस्थाओं ने भी बच्चों की सहायता जारी करने को कहा है।
पत्रिका में गुरुवार के अंक में ‘कैंसर ने छीना पिता का साया, कोरोना से हार गई मां की ममता शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद दानदाताओं ने बच्चों के घर पहुंचकर उनकी मदद की। अपना घर सेवा समिति की पुरुष इकाई ने दो साल से नहीं भरे गए बिजली के बिल भरने को कहा है। वहीं जिला अग्रवाल महासभा के पदाधिकारी कृष्ण कुमार अग्रवाल ने बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने को कहा है। बंशी पहाड़पुर से डॉ. सतीशचंद शर्मा ने बच्चों की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके खाते में राशि हस्तांतरित की है। खास तौर से इस राशि से स्कूल जाने वाली गुडिया की साइकिल की जरूरत पूरी होगी। स्वास्थ्य मंदिर महिला सेवा इकाई की अध्यक्ष हेमलता सिंह ने बच्चों को हर माह राशन देने की जिम्मेदारी उठाई है। शिवसेना की टीम जिलाध्यक्ष सुरजीत सिंह उर्फ छुट्टन डॉन व महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष प्रिया उपाध्याय के नेतृत्व में बालिका गुडिया के घर पहुंची। यहां बच्चों ने सबसे बड़ी समस्या करीब 23 हजार रुपए का विद्युत बिल बताया। इस पर जिलाध्यक्ष ने बीईएसएल कम्पनी से असहाय बच्चों का बिल को माफ करने की मांग करते हुए बालिका को आर्थिक सहायता दी। श्री मित्र भारत समाज संस्थान के संस्थापक भगवत कटारा ने गुरुवार सुबह बच्चों के घर पहुंचकर उनकी पीड़ा जानी और उन्हें मदद का आश्वासन दिया। कटारा ने कहा कि बच्चों की जरूरत के लिए कपड़ों के साथ पढ़ाई-लिखाई के लिए खर्चा एवं एक माह का राशन दिया जाएगा।
दो बच्चों को पढ़ाएगा स्वास्थ्य मंदिर

मुरली चित्रलोक के पास रहने वाली तूफानी नगला निवासी गुडिय़ा एवं उसके तीन भाइयों के पिता का कैंसर की बीमारी के चलते निधन हो गया। वहीं मां कोरोना के चलते दुनिया छोड़ गईं। इसके बाद अनाथ हुए बच्चों का कोई सहारा नहीं रहा। ऐसे में बच्चे मदद के लिए इधर-उधर झांक रहे थे। मदद के लिए बालिका गुडिया बुधवार को स्वास्थ्य मंदिर पहुंची थी। इसके बाद पत्रिका ने गुडिया की पीड़ा को उजागर किया। अब स्वास्थ्य मंदिर ने दो बच्चों को गोद लिया है, जबकि दो बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी कृष्ण कुमार अग्रवाल ने ली है। स्वास्थ्य मंदिर के संचालक डॉ. वीरेन्द्र कुमार अग्रवाल बताते हैं कि संस्था ने दो बच्चों को गोद ले लिया है। साथ ही संस्थान में पढऩे आने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए गुडिय़ा को प्रेरित किया है। ऐसे में संस्थान की ओर से मिलने वाली राशि से गुडिय़ा अपने भाइयों की जरूरत को पूरा कर सकेगी। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिलाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भी घर पहुंचे

इसी प्रकार बाल कल्याण समिति अध्यक्ष गंगाराम पाराशर एवं सदस्य मदन मोहन शर्मा बच्चों से मिलने पहुंचे। बड़ी बच्ची 12वीं क्लास में पढ़ती है, बकि उसका छोटा भाई 15 साल का है, जो आठवीं पास करके घर बैठ गया है। दूसरा भाई चौथी क्लास में एवं छोटा भाई दूसरी क्लास में पढ़ रहा है। पाराशर ने बाल अधिकारिता विभाग को बच्चों के लिए राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना में बिना बिलम्ब जोड़कर आर्थिक मदद देने के निर्देश दिए। इस संबंध में जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता को भी मदद करने के लिए पत्र लिखा। इस पर कलक्टर ने मदद का भरोसा दिलाया। अध्यक्ष ने बताया कि कई मदद करने वालों के फोन समिति के पास आ रहे हैं, जो इन बच्चों का खर्चा उठाने के लिए तैयार हैं। इस मौके पर दिनेश चंद आदि मौजूद रहे।
पत्रिका को दिया साधुवाद

स्वास्थ्य मंदिर के डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल के साथ बालिका गुडिया ने इस पहल के लिए पत्रिका का साधुवाद किया है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि खबर प्रकाशन के बाद बहुतेरे दानदाता बच्चों की मदद के लिए सामने आए हैं। इससे बेसहारा बच्चों का लालन-पालन बेहतर तरीके से हो सकेगा।

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