वहीं डॉ. रोहिताश चौधरी भी संक्रमण की आशंका को लेकर अस्पताल आने वालों की स्क्रीनिंग व उपचार में लगे हैं। हालांकि ये मेडीकल कॉलेज में रहते हैं फिर महामारी के दौर में अपने परिजनों से दूर हैं। क्योंकि, सीमाएं सील हैं और आने-जाने की व्यवस्था नहीं है। वहीं ऐसी स्थिति में मरीजों का उपचार इनके लिए सर्वोपरि है। इन्हें भी कॉलेज से निकलने के बाद न दिन का पता है और न रात को जाने का पता है। परिजनों की याद आए तो फुरसत के कुछ क्षणों में उन्हें सावचेत करने के साथ दो बातें कर लेते हैं। ये लोगों को लॉक डाउन की पालना करने का संदेश भी दे रहे हैं।
इसी तरह कोरोना यूनिट में कोतवाली निवासी चिकित्सक बॉबी कश्यप दिन-रात ड्यूटी दे रहीं हैं। इनके साथ फीमेल नर्स रश्मि गुप्ता, मोनिका कालरा भी संक्रमण के संदिग्ध आने पर उनकी स्क्रीनिंग और जांच व मौसमी बीमारी के लक्षण होने उपचार दे रही हैं। इनके परिवार में भी बच्चे इंतजार करते रहते हैं। रात को पहुंचे तो बच्चों की आंखें एक आहट पर खुल जाती हैं। वहीं दिन की दिनचर्या टीवी, कैरम, मोबाइल पर गैम में बितानी पड़ती है। अगर मां के आने का समय पता हो तो दिन में खेलते रहते हैं। समय की जानकारी न हो तो दिन में सो जाते हैं।