जिले में वर्ष 2012 की गणना के अनुसार एक लाख 66 हजार 894 गाय, आठ लाख 36 हजार 220 भैंस, 65049 भेड़, एक लाख 23 हजार 391 बकरी हैं। इनके उपचार के लिए 75 पशुचिकित्सालय, 219 पशु उपकेंद्र, 07 पशुऔषधालय, जिला मुख्यालय पर एक पॉलीक्लिनिक है। लेकिन, दवाइयां समय पर नहीं आने पशुपालक निराश लौटते हैं। इस वर्ष जनवरी-फरवरी में भी दवाइयां नहीं होने से दिक्कत आई थी।
इसके चलते 50 से 60 लाख बजट की दवाइयों की डिमांड भेजी थी। इसमें से 30 लाख रुपए की दवाइयां भेजी गई। और दवा बाद में आईं। अब अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग ने स्वीकृत बजट के अनुरूप निदेशालय को 34 दवाइयों की आपूर्ति कराने की डिमांड स्वीकृत बजट के अनुरूप भेजी। इनमें से 16 तरह की दवाइयां भेजने के ऑर्डर दवा कंपनी को दिए गए। जहां से कुछ दवाइयां ही आई हैं। शेष का इंतजार है।
पशुओं के लिए एंटी रेबीज, एन्टोबायोटिक एनालजीन, मेलोक्सिनकेन, डाईसाईक्लोविन, एन्ड्रोफ्लोक्सोसिन, टेट्रा साइक्लिन वोलन आदि दवाएं स्वीकृत हैं। वर्तमान में फिनायल, खुजली का आईबर मोक्टिन इंजेक्शन, एमोक्सिल क्लॉक्सा, जेन्टामाइसिन आदि 34 दवाएं अनुपलब्ध हैं। इनमें से 61 दवाओं की डिमांड भेजी हैं। इनके अभाव में पशुपालक परेशान हो रहे हैं।
पशुपालन विभाग भरतपुर के संयुक्त निदेशक डॉ. नगेश चौधरी का कहना है कि निदेशालय से स्वीकृत बजट के अनुरूप डिमांड दवाओं की डिमांड भेजी है। ऑर्डर दे दिए हैं, अब दवा कंपनी धीरे-धीरे आपूर्ति कर रही है। जल्द ही पशुचिकित्सालयों पर दवाइयां पहुंचाई जाएंगी।