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भरतपुर

अनपढ़ गंगादेवी बनी प्रेरणा, सेवइयां बनाना सीखकर कमा रही हर माह 25 हजार रुपए

– साल में छह माह चलता है सेवइयां बनाने का व्यवसाय

भरतपुरSep 17, 2020 / 10:07 am

Meghshyam Parashar

अनपढ़ गंगादेवी बनी प्रेरणा, सेवइयां बनाना सीखकर कमा रही हर माह 25 हजार रुपए

अनपढ़ गंगादेवी बनी प्रेरणा, सेवइयां बनाना सीखकर कमा रही हर माह 25 हजार रुपए

भरतपुर. मेवात क्षेत्र में सेवइयां उपयोग का प्रचलन निरन्तर बढ़ता जा रहा है। शादी-विवाह हो या तीज-त्यौहार सेवइयों का उपयोग प्रत्येक घर में अवश्य होता है। विशेष रूप से मेव समाज में तो मीठी ईद के अलावा शादी-विवाहों में सेवाइयां अवश्य बनती हैं। अब तक घरों में हाथ से सेवइयां बनाई जाती थी, लेकिन नगर कस्बे की गंगादेई ने पति भजनलाल सैनी से मिलकर सेवइयां निर्माण की मशीन जुगाड़ पर लगा ली। जो गांव-गांव में घूमकर प्रतिदिन 100 से 150 किलो मैदा की सेवइयां मजदूरी पर बना रही हैं। इसे उसे प्रतिकिलो 25 रुपए आसानी से मिल रहे हैं। इसके अलावा स्वयं मैदा से सेवइयां तैयार कर बाजार में विक्रय कर रही है। गंगादेई अधिक पढ़ी-लिखी नहीं थी। जो घरेलू काम-काज में व्यस्त रहती थी। उसका पति मेहनत-मजदूरी कर जीवनयापन कर रहा था। गंगादेई ने देखा कि बाजार में सेवइयां महंगे दामों पर बिकती हैं। जिन्हें गरीब खरीद नहीं पाते लेकिन शादी-विवाहों में इनका प्रचलन निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जो महिलाएं घरेलू उपयोग के लिए भी सेवइयां हाथ से तैयार करती, उससे घर की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती थी। ऐसी स्थिति में गंगादेई ने पुराना जुगाड़ खरीद कर उसके इंजन से सेवइयां बनाने की मशीन लगा ली। इससे गांव-गांंव में घूमकर सेवइयां मजदूरी पर बनाकर उपलब्ध कराने लगी। जब गांव में सेवइयां बनाने वाला जुगाड़ पहुंचता तो महिलाएं मैदा लेकर तैयार रहती। गंगादेई इस मैदा में पानी मिलाकर आटे की तरह गूंद कर मशीन में डाल देती। जिससे सेवाइयां तैयार होकर कागज पर आ जाती। जिन्हें धूप में सूखाकर सेवाइयां तैयार कराने वाली महिलाऐं ले जाती। इस कार्य से श्रीमती गंगादेई को 25 रुपए किलो की मजदूरी आसानी से मिल जाती। सेवइयां बनाने के कार्य में होने वाले लाभ को देखकर उसने चार मशीनें खरीद ली हैं जो आस-पास के गांवों में सेवइयां तैयार कर उपलब्ध करा रही हैं।
शादी-विवाह में शुरू हुआ सेवइयों का रिवाज

गंगादेई ने अपने घर पर भी करीब पांच क्विंटल मैदा की सेवइयां तैयार कर रख रखी हैं ताकि आवश्यकता होने पर तुरन्त उपलब्ध कराई जा सके। गंगादेई ने बताया कि मेव जाति में सगाई अथवा शादी विवाह में कम से कम 25 से 30 किलो सेवइयां देने का रिवाज शुरू हो गया है। ऐसे कार्य के लिए वह तुरन्त अपने पास रखी सेवइयों में से उपलब्ध करा देती है। नगर कस्बे की गंगादेई को सेवइयां निर्माण से होने वाली आय को देखकर करीब 16 लोगों ने इस तरह की मशीनें लगा ली हैं। वे भी गांव-गांवों में घूमकर सेवइयां तैयार कर उपलब्ध कर रहा हैं। एक समाजसेवी संस्था गंगादेई की ओर से तैयार की गई सेवइयों की ब्रांडिंग कराने का प्रयास कर रही है। ताकि उसकी सेवइयां स्थानीय बाजार के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी विक्रय के लिए जा सके।

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