scriptडरना मना है, पर सतर्क रहने की मनाही नहीं | Fearing is forbidden, but it is not forbidden to be vigilant | Patrika News
भरतपुर

डरना मना है, पर सतर्क रहने की मनाही नहीं

पिछली लहर में कोरोना को मात दे चुका है चीमा परिवार

भरतपुरMay 10, 2021 / 04:10 pm

Meghshyam Parashar

डरना मना है, पर सतर्क रहने की मनाही नहीं

डरना मना है, पर सतर्क रहने की मनाही नहीं

भरतपुर. बात नवम्बर 2020 की है। कोरोना कहर सा बरपा रहा है। हर कोई इस नई आफत से अनजान था। ऐसे में डरना जरूरी था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह था कि हम बिना हौसले खोए इस बीमारी का खात्मा करें। यह सतर्कता, सजगता और हौसलों को ही नतीजा था कि हम पांच लोग कोरोना को मात देने में कामयाब हो गए। दूसरी लहर बहुत ज्यादा घातक है। हालांकि इससे डरना मना है, लेकिन सतर्क रहने की कतई मनाही नहीं है। हम बिना डरे ही इस घातक बीमारी को पटकनी देने में सफल हो सकते हैं। यह कहना है कोरोना को पिछले साल हराने वाले चीमा परिवार का। यह परिवार आज के परिवेश में उदाहरण है। इनको देखकर सभी को सीखना चाहिए की हिम्मत नहीं हारने से बड़ी से बड़ी समस्या से निजात मिल सकता है। जरूरत है सिर्फ सावधानी की, समय पर जांच और समय पर उचित इलाज की।
शहर के मोरी चार बाग निवासी अरविंद चीमा (47) नवम्बर 2020 में संक्रमित हुए। उन्हें इसका भान तक नहीं था। चीमा वायरल समझकर दवा लेते रहे, लेकिन जब तक असल वजह तक पहुंचते तब तक उनकी दो बेटी नितिज्ञा चीमा (17) एवं खुशी चीमा (14) संक्रमित हो चुकी थीं। जांच कराने पर तीनों पॉजिटिव आ गए। यह परिवार के लिए मुश्किल घड़ी थी, लेकिन तीनों अलग-अलग आइसालेट हो गए और हौसलों का दामन थामे रखा। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर बिना घबराए इस महामारी का मुकाबला सकारात्मक सोच से करने का मन बना लिया। इस दरिम्यान चिकित्सक की सलाह का पूरी से पालन किया और मन में इसका डर कतई हावी नहीं होने दिया। इसका परिणाम यह रहा कि खुद अरविंद चीमा 23 नवंबर तथा दोनों बेटियों की रिपोर्ट 25 नवम्बर को नेगेटिव आ गई। अरविंद परिवार के सम्पर्क में आईं उनकी साली की दो बेटियां लुभांशी (13) एवं नोहिता (10) भी कोरोना से जूझीं, लेकिन कोरोना को हराने की ठान लेने और दवाओं का नियमित रूप से सेवन करने से यह परिवार कोरोना को हराने में कामयाब हो गया। चीमा कहते हैं कि तनाव के बीच बीमारी और बढ़ती है। बीमारी के दौरान भी हम पूरी तरह खुश रहे। ऑक्सीमीटर से समय-समय पर घर पर ही ऑक्सीजन लेबल की जांच करते रहे और हौसलों को बरकरार रखा। इसके परिणाम यह रहे कि ऑक्सीजन लेबल कतई कम नहीं हुआ। बीमारी के दौरान मुंह सूखा और होठों पर पपड़ी भी जमी, लेकिन दवा लेने में कोताही नहीं बरती। हर रोज व्यायाम के साथ नाश्ता और भोजन भरपूर मात्रा में लिया। इससे अब पूरा परिवार ठीक है।
अब बेहद जरूरी है सतर्कता

अरविंद चीमा कहते हैं कि कोरोना की पहली स्टेज इतनी घातक नहीं थी। बमुश्किल दो-चार संक्रमित लोग ही सामने आ रहे थे, लेकिन इस बार इनकी भरमार है। ऐसे में इसके प्रति सावधानी और सतर्कता बहुत जरूरी है। मृत्यु दर भी इस बार बढ़ गई है। ज्यादातर केसों में सामने आ रहा है कि दूसरी लहर का वायरस लंग्स को बहुत जल्दी खत्म कर रहा है। ऐसे में लोगों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हम पूरी तरह सतर्क रहें। गाइड लाइन का पालन करते हुए हौसलों और विश्वास से हम इसे हरा सकते हैं।

Home / Bharatpur / डरना मना है, पर सतर्क रहने की मनाही नहीं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो