रिकॉर्ड में ठेके आठ बजे बंद, हकीकत में पूरी रात बिकती है शराब राज्य सरकार की ओर से शराब के ठेकों को रात आठ बजे तक ही खोलने का नियम बनाया हुआ है, लेकिन रात आठ बजे ठेके सिर्फ रिकॉर्ड में ही बंद होते हैं। इसके बाद भी कुछ इलाकों में चोरी छिपे शराब बिक्री का खेल चलता है। इतना ही नहीं भरतपुर शहर की ही बात करें तो चांदपोल गेट, धाऊपायसा, गोपालगढ़ मोहल्ला, हीरादास बस स्टैंड, बुध की हाट, चौदह महादेव गली, विजय नगर, मथुरा गेट थाने के पीछे, रंजीतनगर, धीमर मोहल्ला बी-नारायण गेट, चिंताहरण हनुमान मंदिर के पास, रेलवे स्टेशन के पास, रूंधिया नगर समेत दो दर्जन से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां अंग्रेजी व देशी शराब रातभर आसानी से मिलती है। जबकि डीग, कामां, कुम्हेर, नगर, वैर, भुसावर, बयाना, रूपवास, नदबई समेत जिले के हर इलाके में रात आठ बजे बाद भी अवैध शराब की बिक्री का कारोबार चलता रहता है। इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन से लेकर उच्च अधिकारियों तक होती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन देकर मामला शांत कर दिया जाता है। जिले में अवैध शराब का कारोबार राजनैतिक सरंक्षण में चल रहा है। यही वजह है कि आबकारी विभाग और पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं करती है।
यहां अमला कम है और खतरा ज्यादा भरतपुर जिला हरियाणा व उत्तरप्रदेश की सीमा से जुड़ा हुआ है। शराब की तस्करी को लेकर यह जिला भी बहुत खास रहता है। भरतपुर में भी हरियाणा की शराब के सस्ती होने के कारण प्रचलन बहुत है। यह बात किसी भी अधिकारी से छिपी नहीं है, लेकिन इसके बाद भी अफसर यहां अमला तैनात नहीं करा पाते। क्योंकि राजनैतिक प्रभाव व रसूखदार अफसर अपना तबादला बड़े शहरों में करा लेते हैं। इसलिए स्थानीय ही ज्यादातर नियुक्त होते हैं।
आरोपों से खुलासा…पुलिस का था समर्थन, आबकारी विभाग कभी नहीं आया रूपवास के जिन गांवों में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है, उन गांवों के ग्रामीण अब अपनों की मौतों के बाद खुलकर बोल रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना था कि आबकारी विभाग का एक भी अधिकारी या कर्मचारी कभी भी गांव में नहीं आया। बल्कि खुद पुलिस का भी शराब माफिया को संरक्षण प्राप्त था। इतना ही नहीं हकीकत यह भी है कि जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में तो हथकढ़ शराब बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से भी कतराते हैं, क्योंकि वहां राजनैतिक संरक्षण के चलते विवाद होने का खतरा बना रहता है।
केस नंबर एक -छह दिसंबर 2019 को डीग के खोह थाना पुलिस ने अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री व सामान बरामद किया। हालांकि माफिया कुछ समय से मिलावटी शराब बनाने का काम कर रहा था।
केस नंबर दो -छह अप्रेल 2020 को अलवर जिले के कठूमर थाना पुलिस ने नकली शराब बनाने की फैक्ट्री व सामान पकड़ा। यह शराब भरतपुर के गांवों में भी सप्लाई हो रही थी। खुद पुलिस ने इस बात का खुलासा किया था।
केस नंबर तीन -करीब चार महीने पहले बयाना थाना क्षेत्र के गांव नगला लक्खी (खूंटखेड़ा) में कोतवाली पुलिस ने आधी रात एक मकान पर छापामार कार्रवाई कर अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी। मकान में बनी इस फैक्ट्री में तीन भाई मिलकर स्प्रिट से अवैध देशी शराब बना रहे थे। पुलिस ने एक भाई अजीत को गिरफ्तार कर लिया, जबकि अजमत और रामवीर दोनों फरार हो गए थे।
केस नंबर 4 -पांच फरवरी 2020 को सीकरी पुलिस ने सब्जी मंडी में कार्रवाई कर अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री का पर्दाफाश किया था। पुलिस ने अवैध देशी शराब के 45 कर्टन, 1200 रैपर व 300 ढक्कन समेत अन्य सामान बरामद किया था।