
साधन-संसाधनों से जूझते जिले के आधे प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में बिजली ही नहीं है। खास बात यह है कि बिजली का मद नहीं होने के कारण सरकार से पैसा नहीं मिलता। इस कारण अन्य मदों की राशि का समायोजन कर बिजली का बिल भरना पड़ता है।
जिले में कुल 1147 प्राइमरी व मिडिल स्कूल हैं। इनमें से 574 स्कूलों में अभी तक बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
कनेक्शन पाने की कतार में
जिले के 166 स्कूलों में बिजली की सुविधा उपलबध कराने के लिए फाइल लगाई है, लेकिन इनमें अभी तक कनेक्शन नहीं हो सके हैं। नगला लोधा के स्कूल सहित कई स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें बिजली का कनेक्शन तो है, लेकिन वह सिर्फ संस्था प्रधान के कक्ष तक सीमित है। कक्षा-कक्षों में बिजली की सुविधा नहीं है।
एक दर्जन का कनेक्शन कटा
जिले के एक दर्जन स्कूल ऐसे हैं, जिनका बिजली का बिल नहीं भरा जा सका। इस कारण विद्युत निगम ने उनके कनेक्शन काट दिए। बिल जमा नहीं कराने का कारण बिलों के अधिक राशि का आना और स्कूल में पैसा उपलब्ध नहीं होना है। जाटौली घना के बालिका स्कूल को बिल करीब 42 हजार रुपए का आया, जो अभी तक भरा नहीं जा सका है। कनेक्शन को कटे 5 साल से अधिक समय हो गया।
बजट में मिलती नाममात्र की राशि
प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को बजट के नाम पर नाममात्र की राशि मिलती है। शाला सुविधा के रूप में प्राइमरी स्कूल को 5 हजार रुपए और मिडिल स्कूल को 12 हजार रुपए सलाना मिलते हैं, जिनसे जरूरी सुविधाएं सुलभ करा पाना मुश्किल है।
बिल भरा, नहीं जुड़ा कनेक्शन
नगला समाहद (रूपवास). राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की ओर से बिजली का बिल जमा कराने के बाद भी कनेक्शन नहीं जुड़ा है। बिल नहीं भरने के कारण एक वर्ष पहले विद्युत निगम ने कनेक्शन काटा था। मार्च, 17 में बिल की राशि जमा भी करा दी। कार्यवाहक संस्था प्रधान पंकज कुमार कहते हैं कि कई बार विद्युत निगम के अधिकारियों से मिल चुके है, लेकिन कनेक्शन नहीं जुड़ा। गर्मी के इस मौसम में बच्चों को काफी असुविधा हो रही है।
-बजट की समस्या है। 166 स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए फाइल लगा रखी है। सभी संस्था प्रधानों को यह निर्देश दे रखे हैं कि वे पहले कक्षा-कक्षों में बिजली की व्यवस्था करें। बाद में अपने कक्ष में बिजली लगवाएं।
मुंशी खान, एडीपीसी, एसएसए, भरतपुर
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