जिले में 265 ग्राम सेवा सहकारी समितियां हैं। इनमें किसान सदस्यों को फसली ऋण देने का प्रावधान है। यह सैंट्रल को-ऑपरेटिव बैंके के माध्यम से दिया जाता है। नियम है कि खरीफ की फसल में वितरित ऋण की रिकवरी होने पर उसे रबी की फसल पर दिया जाता है। इसके चलते किसानों पर खरीफ का दो सौ करोड़ से अधिक बकाया है। लेकिन, किसान भी क्या करे जब उसे ओलावृष्टि और बारिश ने बर्बाद कर दिया हो।
इस स्थिति में अन्नदाता के आंसू थम नहीं रहे। यह हाल ही में ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की हजारों हैक्टेयर फसल की बर्बादी के कारण हुआ है। वहीं राज्य सरकार आश्वासनों तक सीमित रह गई है। ऐसे में बर्बाद हो चुके किसानों को कोई सहायता नजर नहीं आ रही। इसलिए किसान बिखरता जा रहा है। गौरतलब है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुए मौसम परिवर्तन से गत 29 फरवरी को मौसम का कहर किसानों पर बरसा था। इसके बाद 4 व 5 मार्च की रात और 6 मार्च की शाम को बारिश के साथ ओलावृष्टि ने किसानों को झकझोर दिया दिया। फसल के भरोसे भविष्य की उम्मीदें टिकाए बैठे किसानों की मेहनत तब धराशायी हो गई। इस अवधि में किसानों की करीब 98 हजार हैक्टेयर फसल में नुकसान हुआ था।
सैंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के एमडी बिजेंद्र शर्मा का कहना है कि खरीफ की फसल में जो फसली ऋण वितरित किया था। उसका किसानों पर ऋण बकाया है और किसान ऋण चुकता कर रहे हैं वह ऋण रबी में दिया जा रहा है। वहीं ऋण के बकायादार किसानों के लिए ड्यू डेट बढ़ाई जा सकती है। जैसे निर्देश मिलेंगे वैसे पालना की जाएगी।