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भरतपुर

आराम मिले तो चले गाड़ी का पहिया…

भरतपुर. रोडवेज के लोहागढ़ डिपो में चालक-परिचालकों को छुट्टी (अवकाश) नहीं मिल पाती।

भरतपुरDec 11, 2019 / 10:44 pm

pramod verma

आराम मिले तो चले गाड़ी का पहिया...

आराम मिले तो चले गाड़ी का पहिया…

भरतपुर. रोडवेज के लोहागढ़ डिपो में चालक-परिचालकों को छुट्टी (अवकाश) नहीं मिल पाती। इसलिए डिपो के दर्जनों चालक-परिचालक लंबे समय से अवकाश किए बिना ड्यूटी करने पर मजबूर हैं। बीमार या अत्यंत जरूरी कार्य होने पर इन्हें अवकाश मिल पाता है। इसका कारण चालक कम परिचालक (डीसी) की व्यवस्था और डिपो के वर्कशॉप में ज्यादा कर्मचारी लगाने से डिपो की बसों के संचालन में कर्मचारियों के अभाव को माना जा रहा है। इससे चालक-परिचालकों के अवकाश में व्यवधान हो रहा है।
राजस्थान रोडवेज के केंद्रीय बस स्टेंड पर लोहागढ़ डिपो में वर्तमान में 75 बस संचालित हैं। यहां अलग-अलग शेड्यूल में चालक-परिचालकों की ड्यूटी लगाई जाती है। पहले चालक-परिचालकों को अवकाश समय पर मिल जाते थे, क्योंकि 73 बसों को 131 चालक-परिचालक संभालते थे।
अब इनकी संख्या 122 रह गई है। शेष 09 चालक-परिचालकों को वर्कशॉप में कार्यरत कर दिया है। वहीं वर्कशॉप में वर्तमान में 148 कर्मचारी रूट, ग्रीस, डीजल पंप, मरम्मत आदि कार्यों पर लगे हैं। इनमें ऐसे कर्मचारी भी हैं जो शारीरिक रूप से असमर्थ हैं। वह वर्कशॉप में ड्यूटी करते हैं।

दूसरी ओर चालक कम परिचालक की स्थिति से परिचालकों को बस रूट पर चलानी पड़ती है। कह सकते हैं कि ड्राइविंग भी करनी है और पचिालक का कार्य भी करना है। यह कहीं तक बसों के संचालन में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है। वहीं चालक-परिचालकों का आराम असुविधापूर्ण हो गया है।

सूत्रों का कहना है कि बीते वर्षों में चालक कम परिचालकों की भर्ती हुई थी। इनमें से नौ ऐसे कर्मचारी हैं, जो स्टे लेकर सिर्फ परिचालक का कार्य कर रहे हैं। ये बसों का संचालन नहीं करते। अब शेष चालक-परिचालकों को बस चलाने के साथ परिचालक का कार्य भी करना पड़ता है। ऐसे में डिपो में बसों के संचालन की व्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा होगा। वहीं चालक-परिचालकों के साप्ताहिक अवकाश तो लंबे समय से ड्यू हैं।
लोहागढ़ डिपो के मुुख्य प्रबंधक घनश्याम गौड ने बताया कि लोहागढ़ डिपो में चालक पर्याप्त हैं। परिचालक जरूर कम हैं, लेकिन एडजेस्ट कर लेते हैं। अवकाश भी देते हैं। डिपो की बसों के संचालन की सब व्यवस्थाएं ठीक हैं। कोई दिक्कत नहीं है।

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