इस वजह से इन क्षेत्रों में पानी की सप्लाई 24 से 48 घंटे में एक बार होती है। अब तो चंबल का पानी ही इन क्षेत्रों का सहारा बन सकता है। नहीं तो गर्मी में पानी के लिए जद्दोजहद होना स्वाभिक है। जिले की करीब 25 लाख 48 हजार 470 जनसंख्या है। इनमें से 1430 गांवों में निवास करने वाले 16 लाख लोगों को सर्दी की अपेक्षा गर्मी में अधिक पानी की आवश्यकता होगी।
अब गर्मी को देखते हुए पानी वितरण का जो समय निर्धारित है वह लोगों के लिए किल्लत वाला हो सकता है। गौरतलब है कि जलदाय विभाग ने जिले में करीब 52 हजार जल कनेक्शन दे रखे हैं। इन्हें पाइन लाइन, नलकूप, हैंंडपंप, जीएलआर टैंक, टैंकर आदि से प्रति व्यक्ति 40 लीटर के हिसाब से पानी देना निर्धारित है। इसके बाद भी डीग, कामां, नगर, पहाड़ी क्षेत्र में पानी की व्यवस्था सर्दियों में 48 घंटे में होती है। ऐसे में आगामी गर्मी में लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ेगा।
गत वर्ष 31 दिसम्बर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में करीब 11310 हैंडपंप है। इनमें से 5754 हैंडपंप खराब पाए गए। इन्हीं में 543 हैंडपंप सूखे पाए गए। विभाग ने 5716 हैंडपंपों में सुधार कराया, लेकिन 38 हैंडपंप अब भी खराब बताए गए हैं। वहीं भू-जल स्तर भी नीचे पहुंच गया है। इस हालत में लोगों को गर्मियों में भरपूर पानी उपलब्ध कराना मुमकिन नहीं लग रहा।
ंइधर, भरतपुर शहर, सेवर, कुम्हेर, रूपवास क्षेत्र में पानी की बात करें तो यहां गर्मियों में किल्लत नहीं रहेगी। इन क्षेत्रों में चंबल के पानी की आपूर्ति ने काफी सहारा दिया है। वह भी 24 घंटे में दो बार सप्लाई किया जा रहा है। दूसरी ओर बंधबारैठा से भी आसपास के क्षेत्र में पानी की समस्या नहीं है। मगर, डीग, कामां, नगर-पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ेगा।
पीएचईडी के अधीक्षण अभियंता हेमंत कुमार ने बताया कि डीग, कामां, नगर, पहाड़ी क्षेत्र के लोगों की पानी की समस्या चंबल से ही दूर हो सकती है। जहां पानी की आपूर्ति नहीं पहुंच सकती वहां पर टैंकर से पानी पहुंचा रहे हैं। चंबल के पानी से ही समस्या का समाधान होगा। थोड़े समय की बात है।