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भरतपुर

तन से हो जाएं कोई बात नहीं, मन से न हों बीमार

चिकित्साकर्मी ने कोरोना को दी मात

भरतपुरMay 04, 2021 / 05:05 pm

Meghshyam Parashar

तन से हो जाएं कोई बात नहीं, मन से न हों बीमार

तन से हो जाएं कोई बात नहीं, मन से न हों बीमार

भरतपुर. तन से बीमार होना स्वाभाविक है, लेकिन व्यक्ति को मन से बीमार नहीं होना चाहिए। इस संकट काल में मन और मस्तिष्क से खुद को मजबूत रखें। निश्चित रूप से आप कोरोना को हराने में कामयाब हो जाएंगे। यह कहना है जनाना अस्पताल में नर्स ग्रेड प्रथम रनवीर सिंह का। सिंह ने आठ दिन में कोरोना से जंग जीती है। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और मरीजों की सेवा में जुट जाने को तत्पर भी।
चिकित्साकर्मी रनवीर सिंह बताते हैं कि तबीयत थोड़ी नासाज होने पर 19 अप्रेल को टेस्ट कराया तो 20 अप्रेल को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। हालांकि यह रिपोर्ट डराने वाली हो सकती थी, लेकिन पॉजिटिव-नेगेटिव से परे मैंने इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और गाइड लाइन के अनुसार खुद को होम आइसालेट कर समय पर दवाओं का सेवन किया। इसके साथ ही हर प्रकार से खुद को खुश रखने का जतन किया। घर पर ही व्यायाम करने के साथ नियमित रूप से खाना लिया। खास तौर से अपने ऊपर यह मानसिक दवाब नहीं आने दिया कि मैं कोरोना से पीडि़त हूं। इसी की बदौलत मैं कोरोना से जंग जीतने में कामयाब हो गया। अब सिंह की 28 अप्रेल को रिपोर्ट नेगेटिव आई है। ङ्क्षसह कहते हैं कि संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को टीकाकरण कराना चाहिए। साथ ही मानसिक तनाव बिल्कुल न लें। यह सबसे कारगर तरीके से कोरोना को हराने का। यदि आप मन से हार गए तो हार निश्चित है, लेकिन जिंदादिली के साथ लड़े तो आपकी जीत पक्की है।
बिना इंतजार हो जाएं आइसालेट

रनवीर सिंह कहते हैं कि यदि आप खुद को बीमार महसूस कर रहे हैं तो रिपोर्ट जरूर कराएं, लेकिन इससे पहले जरूरी काम यह करें कि रिपोर्ट का परिणाम आने से पहले ही खुद को होम आइसोलेट कर लें। इससे हम अपने परिवार को सुरक्षित कर सकेंगे। रिपोर्ट के परिणाम चाहे जैसे हों, लेकिन घर पर खुद को सुरक्षित रखें और यदि परिणाम पॉजिटिव भी आए तो घबराएं नहीं। उचित खान-पान और दवा से कोरोना से बिल्कुल ठीक हो सकते हैं।
कलर कोडिंग से मिल रहा फायदा

भरतपुर . जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता की पहल पर आरबीएम में लागू की गई कलर कोडिंग से अब मरीजों को सहूलियत मिलने लगी है। साथ ही आरबीएम का भी बोझ भी हल्का हो रहा है। लाल, पीली और हरी मोहर लगने के बाद अब मरीज संबंधित स्थानों पर ही जा रहे हैं।इससे चिकित्सकों के साथ नर्सिंग स्टाफ की माथापच्ची भी कम हो रही है। पीएमओ डॉ. जिज्ञासा साहनी ने बताया कि आरबीएम में व्यवस्था लागू नहीं होने से पहले सामान्य मरीज भी स्टाफ पर कोविड वार्ड में भर्ती होने का दवाब बना रहे थे। इस समस्या के निदान के लिए जिला कलक्टर की पहल पर यहां कलर कोडिंग व्यवस्था लागू की गई है। अब ओपीडी से ही तय कर दिया जाता है कि मरीज वार्ड में भर्ती होगा, कोविड केयर सेंटर जाएगा या फिर वह घर पर ही इलाज ले सकता है। इस व्यवस्था से मरीज अब सीधे संबंधित स्थान पर पहुंच रहे हैं। इससे वार्ड में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ को भी खासी राहत मिली है। साथ ही ऐसे सामान्य मरीज, जिनका इलाज केयर सेंटर या घर पर हो सकता है, उनका दवाब कोविड वार्ड पर नहीं आ रहा है।
स्टाफ संक्रमित होने से बढ़ी परेशानी

आरबीएम के करीब आधा दर्जन चिकित्सक अभी भी पॉजिटिव हैं, जबकि आधा दर्जन से अधिक चिकित्साकर्मी भी संक्रमण से जूझ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलाने में परेशानी हो रही है। पूर्व में संक्रमित हुए चिकित्सकों की रिपोर्ट अभी नेगेटिव नहीं आई है। साथ ही नर्सिंग स्टाफ भी संक्रमित होने के बाद होम आइसालेट है। ऐसे में अन्य चिकित्साकर्मियों पर काम का दवाब बढ़ा है।

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