बिना इंतजार हो जाएं आइसालेट रनवीर सिंह कहते हैं कि यदि आप खुद को बीमार महसूस कर रहे हैं तो रिपोर्ट जरूर कराएं, लेकिन इससे पहले जरूरी काम यह करें कि रिपोर्ट का परिणाम आने से पहले ही खुद को होम आइसोलेट कर लें। इससे हम अपने परिवार को सुरक्षित कर सकेंगे। रिपोर्ट के परिणाम चाहे जैसे हों, लेकिन घर पर खुद को सुरक्षित रखें और यदि परिणाम पॉजिटिव भी आए तो घबराएं नहीं। उचित खान-पान और दवा से कोरोना से बिल्कुल ठीक हो सकते हैं।
कलर कोडिंग से मिल रहा फायदा भरतपुर . जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता की पहल पर आरबीएम में लागू की गई कलर कोडिंग से अब मरीजों को सहूलियत मिलने लगी है। साथ ही आरबीएम का भी बोझ भी हल्का हो रहा है। लाल, पीली और हरी मोहर लगने के बाद अब मरीज संबंधित स्थानों पर ही जा रहे हैं।इससे चिकित्सकों के साथ नर्सिंग स्टाफ की माथापच्ची भी कम हो रही है। पीएमओ डॉ. जिज्ञासा साहनी ने बताया कि आरबीएम में व्यवस्था लागू नहीं होने से पहले सामान्य मरीज भी स्टाफ पर कोविड वार्ड में भर्ती होने का दवाब बना रहे थे। इस समस्या के निदान के लिए जिला कलक्टर की पहल पर यहां कलर कोडिंग व्यवस्था लागू की गई है। अब ओपीडी से ही तय कर दिया जाता है कि मरीज वार्ड में भर्ती होगा, कोविड केयर सेंटर जाएगा या फिर वह घर पर ही इलाज ले सकता है। इस व्यवस्था से मरीज अब सीधे संबंधित स्थान पर पहुंच रहे हैं। इससे वार्ड में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ को भी खासी राहत मिली है। साथ ही ऐसे सामान्य मरीज, जिनका इलाज केयर सेंटर या घर पर हो सकता है, उनका दवाब कोविड वार्ड पर नहीं आ रहा है।
स्टाफ संक्रमित होने से बढ़ी परेशानी आरबीएम के करीब आधा दर्जन चिकित्सक अभी भी पॉजिटिव हैं, जबकि आधा दर्जन से अधिक चिकित्साकर्मी भी संक्रमण से जूझ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलाने में परेशानी हो रही है। पूर्व में संक्रमित हुए चिकित्सकों की रिपोर्ट अभी नेगेटिव नहीं आई है। साथ ही नर्सिंग स्टाफ भी संक्रमित होने के बाद होम आइसालेट है। ऐसे में अन्य चिकित्साकर्मियों पर काम का दवाब बढ़ा है।