कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे नटवर सिंह इसी गांव के मूल निवासी हैं। वे पहले भारतीय विदेश सेवा में चुने गए। केन्द्रीय राज्यमंत्री के बाद वह वर्ष 2004 में विदेश मंत्री बने। उनके बेटे जगत सिंह लक्ष्मणगढ़, कामां के बाद अब नदबई से विधायक हैं। जघीना की बादशाहत यहां के युवाओं ने पढ़ाई के क्षेत्र में भी कायम रखी। जघीना के युवा देश की सबसे बड़ी भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गए हैं।
अपराध की दुनिया में भी बटोरीं सुर्खियां
कृपाल-कुलदीप जघीना हत्याकांड देशभर में चर्चित रहा। दोनों हिस्ट्रीशीटर की हत्या की गई। कृपाल की हत्या जघीना गेट के पास अंधाधुंध फायरिंग कर की गई। इसके बाद हिस्ट्रीशीटर कुलदीप को भरतपुर पेशी पर लाते हुए आमोली टोल प्लाजा पर गोली मारकर हत्या की गई।
‘जघीना के हर घर से कोई न कोई सरकारी नौकरी में है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भरतपुर तहसील में स्थित जघीना गांव की आबादी 9,233 है। इसमें 5,008 पुरुष और 4,225 महिलाएं हैं। इसे चार थोकों में बांटा गया है। हालांकि वर्तमान में इसकी आबादी 30 हजार से अधिक है। यहां के युवाओं में जोश जन्म से ही आता है।– रामवीर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार
युवाओं ने पहलवानी में भी कमाया नाम
यहां के मोतीसिंह पहलवान ने हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल के नामी पहलवानों को हराया था। महाराजा ब्रिजेंद्र सिंह के समय जिले के कारे सिंह पहलवान का पूरे देश में नाम था। कारे पहलवान उस समय हिंद केसरी थे। बड़े-बड़े पहलवानों के उनके नाम से पसीने छूटा करते थे। एक बार हिमाचल के दंगल में पाकिस्तानी पहलवान लाल वेग ने पूरे भारत के पहलवानों को चुनौती दी थी।
उस दंगल में भरतपुर के तत्कालीन राजा ब्रिजेंद्र सिंह भी मौजूद थे। हालांकि, तब उम्र अधिक होने की वजह से कारे पहलवान ने दंगल छोड़ दिया था। फिर भी ब्रिजेंद्र सिंह ने कारे पहलवान को संदेश भिजवाया और कारे पहलवान दंगल में पहुंच गए। ऐसे में दोनों पहलवानों के बीच जोरदार दंगल हुई। इसमें कारे पहलवान ने पाकिस्तानी पहलवान लाल वेग को हराया था।