शर्म कीजिए साहब…माधोपुर में एक्शन, यहां नहीं टूटी तंद्रा सवाईमाधोपुर जिले के कोतवाली थाने में एक निजी अस्पताल की ओर से अधिक राशि वसूलने के मामले में सीएमएचओ ने राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 के तहत एफआईआर दर्ज कराई है, लेकिन जिले में खुला खेल होने के बाद भी विभाग की तंद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। एफआईआर में कहा है कि प्रत्येक जिले के जिला कलक्टर एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अग्रलिखित आदेश प्रसारित किए थे कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के कारण कोविड के संदिग्ध एवं संबंधित मरीजों के फेंफड़ों में गंभीर संक्रमण की शिकायत होने पर एचआरसीटी स्केन की बढ़ती जरूरत तथा आमजन को कम कीमतों पर सहज एवं सुलभ जांच सुविधा उपलब्ध कराने के राज्य सरकार के संकल्प को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 की धारा 4 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्धारित दरों के अनुसार राज्य में निजी जांच प्रयोगशाला में एचआरसीटी स्केन की दर निर्धाारित की गईं। सीएमएचओ के वाट्एसप पर एक आरएएस अधिकारी ने स्टिंग के जरिए वीडियो क्लिप भेजी थी। इसके बाद सीएमएचओ ने रिपोर्ट दर्ज कराई है।
अब नहीं दिए जा रहे बिल निजी अस्पतालों में जेब कटा रहे मरीज एवं उनके परिजनों का कहना है कि निजी अस्पताल संचालक उन्हें बिल भी बमुश्किल उपलब्ध करा रहे हैं। तमाम जद्दोजहद के बाद भी उन्हें सही कीमत के बिल नहीं दिए जा रहे हैं। हर रोज जांच और इलाज की बढ़ती कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं, लेकिन जिला प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग कोई कार्रवाई करने के बजाय मौन साधे बैठा है।
आरोप, मर रहे ज्यादातर मरीज मैंने अपनी बहन अनीता गर्ग को 24 अप्रेल को शहर के जिंदल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जिनकी 29 अप्रेल को मौत हो गई। गर्ग ने बताया कि मैं लगातार जिंदल हॉस्पिटल से बिल मांग रहा हूं, लेकिन वह लगातार बिल देने की बात को टाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिंदल हॉस्पिटल की ओर से एक दिन का चार्ज करीब 30 हजार रुपए वसूला गया। पांच दिन का खर्चा करीब डेढ़ लाख रुपए आया। गर्ग ने आरोप लगाया कि जिंदल हॉस्पिटल में मृत्यु दर बहुत अधिक है। मेरी नजर में जितने भी मरीज आए, वह ठीक होकर नहीं गए। उनकी डैड बॉडी ही अस्पताल से गई।
– प्रवीन गर्ग, भरतपुर ऐसे झूठ बोलते रहे जिला कलक्टर झूठ: नौ मई को पत्रिका के सवाल पूछने पर जिला कलक्टर ने कहा कि लिखित में कोई आदेश नहीं निकाला है। मिलने पर ही सब बता दूंगा।
सच: आदेश तैयार कराकर संबंधित निजी अस्पताल से प्रार्थना पत्र भी लिया गया था। उस पर हस्ताक्षर नहीं थे। बल्कि डिस्पेच रजिस्टर पर भी जिला कलक्टर का उल्लेख है। इसके बाद वेंटीलेटरों को कंडम बताकर देने की बात कही गई।