script…मतलब जिला कलक्टर ने ही बोला था झूठ | ... meaning the District Collector had told a lie | Patrika News
भरतपुर

…मतलब जिला कलक्टर ने ही बोला था झूठ

-वेंटीलेटर देने के बाद निकला सरकार का आदेश, पहले दिए और बाद में किराया तय किया, जिला कलक्टर अब बता रहे खुद की पहल, पहले मेहरबानी फिर कारस्तानी

भरतपुरMay 12, 2021 / 06:04 pm

Meghshyam Parashar

...मतलब जिला कलक्टर ने ही बोला था झूठ

…मतलब जिला कलक्टर ने ही बोला था झूठ

भरतपुर. निजी अस्पताल को वेंटीलेटर देने व मनमाना शुल्क वसूल करने के मामले में चार दिन से चुप्पी साधकर बैठे जिला कलक्टर अब इसे अपनी पहल बताने से भी नहीं चूक रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर इस सियासी गठजोड़ में जितने भी अधिकारी शामिल रहे हैं, उन्होंने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। हाइकोर्ट ने भी जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं। इतना ही नहीं सवाल यह उठता है कि आखिर जब जिला कलक्टर ने निजी अस्पताल को वेंटीलेटर देकर नई पहल ही की थी तो इतने दिन तक हर दिन कोई न कोई नया झूठ बोलकर इतिश्री क्यों करते रहे। इससे साफ है कि पहले दिन से ही जिम्मेदार अधिकारियों ने सच छिपाया है। मंगलवार को राज्य सरकार के नया आदेश जारी होने के बाद इस प्रकरण को लेकर सामने आए। हालांकि अब भी बात खानापूर्ति के तहत ही की गई है। इसके अलावा निजी अस्पताल संचालकों के साथ बैठक की है।
जिला कलक्टर ने कहा कि राज्य सरकार की यह मंशा है कि हम आपसी समन्वय से कोविड संक्रमितों से कोविड संक्रमितों का उपचार कर जीवन को सुरक्षित रखें तथा कोविड संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर को कम से कम स्तर पर लाया जाए। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से सरकारी चिकित्सा संस्थानों में अधिशेष वेेटिलेटरों एवं कन्सन्ट्रेटरों का पूर्ण उपयोग के साथ संक्रमितों के जीवन की रक्षा के लिए निशुल्क निजी चिकित्सा संस्थानों की मांग के आधार पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं साथ ही ऐसे वेन्टीलेटरों एवं उपकरणों के उपयोग करने वाले रोगियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके लिए पाबंद करें। जिला कलक्टर ने जिला परिषद सीईओ राजेन्द्र सिंह चारण एवं महानिरीक्षक पंजीयन उत्तम सिंह मदेरणा को निगरानी के लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सालय प्राणवायु का बेहतर उपयोग कर अधिक से अधिक रोगियों के जीवन को बचाएं। उन्होंने निजी चिकित्सकों की मांग पर ऑक्सीजन गैस एवं रेमडेसिवीर इंजेक्शन की किल्लत बताते हुए कहा कि फिर भी उपलब्धता होने पर मांग आधार पर उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे। बैठक में एडीएम प्रशासन, एडीएम शहर, आरएए अखिलेश, जिन्दल सुपर स्पेशिलियटी हॉस्पीटल के डॉ. कपिल जिन्दल, लोकेश जिन्दल, प्रदीप हॉस्पीटल के डॉ प्रदीप, सीटी हॉस्पीटल से डॉ संतोष, एमजे हॉस्पीटल से डॉ जगवीर सिंह, एवं विजय हॉस्पीटल से डॉ विजय सिंह उपस्थित रहे।
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सवाईमाधोपुर जिले के कोतवाली थाने में एक निजी अस्पताल की ओर से अधिक राशि वसूलने के मामले में सीएमएचओ ने राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 के तहत एफआईआर दर्ज कराई है, लेकिन जिले में खुला खेल होने के बाद भी विभाग की तंद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। एफआईआर में कहा है कि प्रत्येक जिले के जिला कलक्टर एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अग्रलिखित आदेश प्रसारित किए थे कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के कारण कोविड के संदिग्ध एवं संबंधित मरीजों के फेंफड़ों में गंभीर संक्रमण की शिकायत होने पर एचआरसीटी स्केन की बढ़ती जरूरत तथा आमजन को कम कीमतों पर सहज एवं सुलभ जांच सुविधा उपलब्ध कराने के राज्य सरकार के संकल्प को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 की धारा 4 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्धारित दरों के अनुसार राज्य में निजी जांच प्रयोगशाला में एचआरसीटी स्केन की दर निर्धाारित की गईं। सीएमएचओ के वाट्एसप पर एक आरएएस अधिकारी ने स्टिंग के जरिए वीडियो क्लिप भेजी थी। इसके बाद सीएमएचओ ने रिपोर्ट दर्ज कराई है।
अब नहीं दिए जा रहे बिल

निजी अस्पतालों में जेब कटा रहे मरीज एवं उनके परिजनों का कहना है कि निजी अस्पताल संचालक उन्हें बिल भी बमुश्किल उपलब्ध करा रहे हैं। तमाम जद्दोजहद के बाद भी उन्हें सही कीमत के बिल नहीं दिए जा रहे हैं। हर रोज जांच और इलाज की बढ़ती कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं, लेकिन जिला प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग कोई कार्रवाई करने के बजाय मौन साधे बैठा है।
आरोप, मर रहे ज्यादातर मरीज

मैंने अपनी बहन अनीता गर्ग को 24 अप्रेल को शहर के जिंदल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जिनकी 29 अप्रेल को मौत हो गई। गर्ग ने बताया कि मैं लगातार जिंदल हॉस्पिटल से बिल मांग रहा हूं, लेकिन वह लगातार बिल देने की बात को टाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिंदल हॉस्पिटल की ओर से एक दिन का चार्ज करीब 30 हजार रुपए वसूला गया। पांच दिन का खर्चा करीब डेढ़ लाख रुपए आया। गर्ग ने आरोप लगाया कि जिंदल हॉस्पिटल में मृत्यु दर बहुत अधिक है। मेरी नजर में जितने भी मरीज आए, वह ठीक होकर नहीं गए। उनकी डैड बॉडी ही अस्पताल से गई।
– प्रवीन गर्ग, भरतपुर

ऐसे झूठ बोलते रहे जिला कलक्टर

झूठ: नौ मई को पत्रिका के सवाल पूछने पर जिला कलक्टर ने कहा कि लिखित में कोई आदेश नहीं निकाला है। मिलने पर ही सब बता दूंगा।
सच: आदेश तैयार कराकर संबंधित निजी अस्पताल से प्रार्थना पत्र भी लिया गया था। उस पर हस्ताक्षर नहीं थे। बल्कि डिस्पेच रजिस्टर पर भी जिला कलक्टर का उल्लेख है। इसके बाद वेंटीलेटरों को कंडम बताकर देने की बात कही गई।
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