कागजों में बनती है कमेटियां लेकिन नतीजा शून्य हकीकत यह है कि जिले में अवैध खनन को लेकर कार्रवाई व जांच के लिए अक्सर कमेटियां बनाई जाती है, लेकिन कुछ समय गुजरने के बाद इनकी रिपोर्ट धूल चाटती नजर आती है। फरवरी 2019 में जिला कलक्टर ने तीन क्षेत्रों में अवैध खनन व ओवरलोड परिवहन के खिलाफ कार्रवाई के लिए सात अधिकारियों की टीम गठित कर उनका मुख्यालय ही वहां कर दिया था। जिला कलक्टर ने संयुक्त कमेटी ने कमेटी गठन की तारीख से 15 दिन की अवधि में जवाब देने को कहा था। जिला कलक्टर ने तीन फरवरी को आदेश निकाला था। इसमें तहसील पहाड़ी, कामां एवं नगर में खनिज से भरे हुए ओवरलोड परिवहन को रोकने एवं अवैध खनन निर्गमन की प्रभावी रोकथाम के लिए 15 दिन के लिए सूचीबद्ध अधिकारी-कर्मचारियों का मुख्यालय पहाड़ी कर संयुक्त कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में खनि अभियंता, सहायक खनि अभियंता, सहायक खनि अभियंता सतर्कता, अधीक्षक खनि अभियंता, खनि कार्यदेशक श्रेणी द्वितीय, खनि कार्यदेशक को शामिल किया था। यह मामला भी कुछ दिन बाद कागजों में ही सिमट कर रह गया।
आपसी समन्वय के अभाव में नहीं होती कार्रवाई बताते हैं कि ऐसे मामलों को लेकर अक्सर परिवहन, पुलिस व खनि विभाग के अधिकारियों के बीच समन्वय का अभाव रहता है। फरवरी माह में गठित कमेटी के बार-बार बहाने लगाने के बाद यह बात सामने आई थी। कभी कमेटी ने जाब्ता नहीं मिलने का दावा किया था तो कभी खुद पुलिस अधिकारियों ने जाब्ता कम होने की समस्या बताकर पल्ला झाड़ दिया था। समय के साथ ही कमेटी की बात ही भुला दी गई है। इससे साफ है कि अक्सर ऐसे प्रकरणों में विभागों की मंशा पर भी सवाल खड़े होते हैं।
-खुद मैंने भी एक बार भुसावर क्षेत्र में निरीक्षण किया था तो इस तरह की गड़बड़ी सामने आई थी। इसके अलावा वहां के कुछ जनप्रतिनिधियों की ओर से भी ज्ञापन देकर बार-बार शिकायत की जा रही थी। कमेटी गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।
नथमल डिडेल
जिला कलक्टर