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भरतपुर

11 माह पहले खो चुकी थी याददाश्त, अब अपना घर ने परिवार से मिलाया

-अपनाघर आश्रम में मानसिक विमंदित गुड्डी की सुधरी हालत, हाथरस सिटी पुलिस ने पहुंचाया था आश्रम, छह माह पहले बेटी को दिया जन्म, पति व सास की हो चुकी सदमे में मौत

भरतपुरOct 24, 2020 / 12:32 pm

Meghshyam Parashar

11 माह पहले खो चुकी थी याददाश्त, अब अपना घर ने परिवार से मिलाया

11 माह पहले खो चुकी थी याददाश्त, अब अपना घर ने परिवार से मिलाया

भरतपुर. 11 माह पहले परिवार से बिछड़ी मानसिक विमंदित गुड्डी को आखिर दुबारा परिवार मिल ही गया। हालांकि पत्नी को खोने के गम में पति की मौत हो गई। गुड्डी की हालत भी अपना घर आश्रम में रहकर सुधरी है। वह आश्रम में आने पर कुछ भी नहीं बता पा रही थी, लेकिन अब उसने घर का पता बताया तो अपना घर आश्रम प्रबंधन ने उसके परिवार से मिलाया। बताते हैं कि ना तन पर पूरे कपड़े थे और ना ही याददाश्त सही थी, न घर का पता बता पा रही थी और ना ही खुद का नाम। 11 महीने पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर की पुलिस ने मानसिक विमंदित गर्भवती गुड्डी को अपना घर आश्रम पहुंचाया था। अपना घर आश्रम ने न केवल गुड्डी को आश्रय दिया, बल्कि उचित उपचार और देखभाल से वह स्वस्थ भी हो गई।
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि जिस समय गुड्डी अपना घर आश्रम में आई थी, उस समय वह पांच माह की गर्भवती थी। गुड्डी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उसका नियमित रूप से उपचार चला और लगातार देखभाल की गई। मार्च 2020 में गुड्डी ने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी का नामकरण गौरांगी भी अपना घर आश्रम में ही किया गया। गुड्डी का नियमित रूप से उपचार किया गया और बेटी के जन्म के बाद गुड्डी धीरे-धीरे सामान्य होने लगी। बाद में गुड्डी की मानसिक स्थिति सामान्य हो गई और उसने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित अपने घर का पता भी बता दिया। इसके बाद अपना घर आश्रम की टीम ने प्रयागराज में पुलिस प्रशासन की मदद से उसके घरवालों को तलाश कर गुड्डी के सकुशल होने की सूचना पहुंचाई। सूचना पाकर गुड्डी की मां, पिता और भाई उसे लेने के लिए अपना घर आश्रम पहुंचे। गुड्डी की मां ने बताया कि जब गुड्डी घर से लापता हो गई, तो उसके पति और सास को गहरा सदमा पहुंचा। गुड्डी को ढूंढने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। करीब 6 माह पहले गुड्डी की सास और पति का देहावसान हो गया। इधर, गुड्डी की झोली में गौरंगी के रूप में एक खुशी आई थी और उधर उसकी मांग उजड़ गई थी, लेकिन अपना घर आश्रम में रह रही गुड्डी को तो यह भी नहीं पता था कि वह कब सुहागन से विधवा हो गई। गुड्डी को लेने आए माता, पिता और भाई ने भी उसे यहां पति की मौत की सूचना नहीं दी।
नवासी को देख नानी की आंख हुई नम

गुड्डी को लापता हुए लंबा समय बीत गया, लेकिन जब गुड्डी की मां पिता और भाई अपना घर आश्रम में उसे लेने पहुंचे और जब गुड्डी अपनी गोद में नन्ही सी गौरंगी को लेकर उनके सामने आई तो मां और पिता की आंखें गीली हो गईं। गुड्डी की मां और पिता दयाशंकर ने नवासी गौरांगी को गोद में लेकर देर तक दुलारा। इसके बाद उसे लेकर अपने गांव के लिए रवाना हुए।
हजारों बेसहाराओं को मिलता है सहारा

बेघर लोगों को सहारा देने और उनकी सेवा के लिए जिलें में डॉ. बीएम भारद्वाज और उनकी पत्नी डॉ. माधुरी भारद्वाज ने मिलकर अपना घर आश्रम की स्थापना की थी। इस आश्रम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य गरीबों और लाचारों की सेवा करना है, जिनका उनके अपनों ने साथ छोड़ दिया या जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है. मानसिक रूप से बीमार लोगों की भी सेवा अपना घर आश्रम में की जाती है। ऐसे लोगों को इस आश्रम में लाया जाता है। उनका इलाज किया जाता है, खाना-पीना दिया जाता है और सेवा की जाती है। अपना घर आश्रम के नेपाल समेत देशभर में 36 शाखाएं संचालित हैं।

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