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भरतपुर

अब नगर निगम की साधारण सभा की बैठक के एजेंडा पर सियासी विरोध

-विपक्ष: पार्षदों के अधिकारों का किया जा रहा है हनन-मेयर: पार्षद सवाल पूछ सकते हैं, बाकी नीतिगत निर्णय

भरतपुरJun 20, 2021 / 03:47 pm

Meghshyam Parashar

अब नगर निगम की साधारण सभा की बैठक के एजेंडा पर सियासी विरोध

अब नगर निगम की साधारण सभा की बैठक के एजेंडा पर सियासी विरोध

भरतपुर. नगर निगम की ओर से 25 जून को हो रही साधारण सभा की बैठक से पहले उसके एजेंडा में शामिल प्रस्तावों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ऐसे में विपक्षी पार्षदों में भी विरोध के स्वर मुखर हो गए हैं। जहां विपक्षी भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया है कि सत्तापक्ष की ओर से पार्षदों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है तो वहीं नगर निगम के मेयर ने दावा किया है कि संबंधित नियम के तहत पार्षद सुझाव दे सकते हैं, बाकी नीतिगत निर्णय होते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों 19 अप्रेल को हुई नगर निगम की बैठक में जिन कार्यों को यूडी टैक्स व पट्टों से प्राप्त राशि से कार्य कराना बताया गया था, अब उन्हीं कार्यों तीन अन्य मदों से कराने के लिए प्रशासनिक वित्तीय जारी कर दी गई। इस मामले को विपक्षी पार्षद निदेशक न्यायालय स्वायत शासन विभाग ले जा चुके हैं, जहां से मेयर व आयुक्त को नोटिस जारी कर 28 जून को दोपहर तीन बजे उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
भाजपा: पत्र देने के बाद भी एजेंडा में नहीं आया प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी के पार्षद श्यामसुंदर गौड़ ने बताया कि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 52 व्यष्टि सदस्यों के अधिकार और विशेषाधिकार के तहत अधिकारों का उपयोग करते हुए नौ जून को आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव शामिल करने के लिए पत्र दिया गया था, लेकिन प्रस्ताव को एजेंडा में शामिल नहीं किया गया है। जो कि अधिनियम की पूरी तरह से अवहेलना है। नगर निगम की बैठक 25 जून को की जा रही है, लेकिन एजेंडा 16 जून को जारी किया गया है। उक्त एजेंडा के साथ प्रत्येक बिंदु का पूर्ण विवरण व जानकारी कार्य सूची एजेंडा के साथ नहीं दी गई है। विषय की पूरी जानकारी एवं विवरण उपलब्ध नहीं होने के कारण बोर्ड में पारदर्शिता वाला निर्णय करने में असुविधा होती है। पिछली 19 अप्रेल को हुई बैठक का कार्यवाही विवरण की प्रति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
मेयर: सुधार का सुझाव दे सकते हैं लेकिन अन्य निर्णय नीति अनुसार

नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार ने कहा कि प्रस्ताव नीतिगत फैसले के लिए होता है। पार्षद ने संभवतया टाऊन हॉल का प्रस्ताव दिया था, वह नगर निगम के संज्ञान में है और उस पर काम चल रहा है। इसी तरह सनातन धर्म स्कूल की 2000 वर्गगज जमीन अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए लिखा है। वह मामला भी विधिक प्रक्रिया में चल रहा है। इन दोनों ही मामलों में पार्षद की ओर से यह पूछा जा सकता है कि आखिर चल क्या रहा है और नगर निगम ने अब तक इसमें क्या किया और आगे क्या करेगी।
यह कहता है अधिनियम

(1) मेयर के अनुसार धारा 52 व्यष्टि सदस्यों के अधिकार और विशेषाधिकार (1) कोई भी सदस्य, किसी नगरपालिका कार्य के निष्पादन में की गई किसी उपेक्षा, नगरपालिका संपत्ति की किसी बरबादी या किसी परिक्षेत्र की नागरिक समस्याओं की ओर समुचित प्राधिकारी का ध्यान आकर्षित कर सकेगा और ऐसे किसी भी सुधार का सुझाव भी दे सकेगा, जिसे वह वांछनीय समझे।
(2) प्रत्येक सदस्य को विहित नियमों के अध्यधीन रहते हुए, अध्यक्ष से प्रश्न पूछने और नगरपालिका के प्रशासन से संसक्त मामलों पर संकल्प प्रस्तावित करने का अधिकार होगा।

(3) प्रत्येक सदस्य को मुख्य नगरपालिका अधिकारी को सम्यक नोटिस देने के पश्चात, नगरपालिका कार्यालय में बिना किसी फीस का भुगतान किए नगरपालिका के अभिलेख का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।

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