परिजनों ने कम समय में जयपुर ले जाने में असमर्थता व्यक्त की तो उन्होंने एक और निजी अस्पताल का नाम बताते हुए वहां वेंटीलेटर की सुविधा होना बताया। परिजन मुखर्जी नगर स्थित अस्पताल में गर्भवती को लेकर पहुंचे तो वहां उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन एंबुलेंस से ही शव को लेकर जिला परिषद् के सामने स्थित निजी अस्पताल पहुंचे। जहां हंगामा करने लगे। हंगामा देख अस्पताल के कर्मचारी भी गायब हो गए। ऐसे में सीओ सिटी हवा सिंह, मथुरा गेट थाने के एसएचओ पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। जहां काफी देर तक पुलिस अधिकारियों ने समझाने की कोशिश की। लेकिन परिजनों ने कोई भी बात मानने से इन्कार कर दिया। इसके बाद डीग-कुम्हेर विधायक विश्वेंद्र सिंह ने संबंधित डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने, मुआवजा राशि दिलाने की बात कही। लेकिन परिजन काफी देर तक समझाने के बाद भी नहीं माने। अंत में शाम करीब साढ़े पांच बजे पुलिस ने शव को आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। जहां गुरुवार सुबह उसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
हंगामे के दौरान परिजनों ने पुलिस अधिकारियों के सामने कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों ने ही दूसरे अस्पताल से आने के बाद मृतक के अंगूठे का निशान कागज पर लगवाया था। जबकि परिजनों से बगैर बताए कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए। लेकिन वहां कोई भी पुलिस अधिकारी इस मामले में कुछ भी कार्रवाई करने के आश्वासन देने या कुछ भी बोलने से कतराता रहा।
-गर्भवती महिला के केस में हमने काफी हद तक संभालने की कोशिश की थी। डॉक्टर मरीज की रक्षा करता है। भला लापरवाही क्यों करेगा। हमने वेंटीलेटर की सुविधा के लिए मरीज को दूसरे निजी अस्पताल के लिए कहा था।
डॉ. सुरेश यादव
अस्पताल संचालक