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भरतपुर

Rajasthan Patrika Campaign : किस्मत ने चार साल पहले मोनू के जीवन में भर दिया था अंधेरा, अब फैलने लगा मदद का उजियारा

भरतपुर. Rajasthan Patrika Campaign : Blind Monu started getting help ‘अभी नापी है मुट्ठी भर जमीं, उडऩे को अभी आसमान बाकी है।’ अपने शहर के पुरोहित मोहल्ला निवासी मोनू शर्मा का दर्दभी कविता की इन्हीं पंक्तियों में छिपा हुआ है। अब पत्नी ही उसकी हिम्मत बनी हुई है।

भरतपुरAug 11, 2019 / 10:24 pm

shyamveer Singh

Rajasthan Patrika Campaign : Blind Monu started getting help

Rajasthan Patrika Campaign : किस्मत ने चार साल पहले मोनू के जीवन में भर दिया था अंधेरा, अब फैलने लगा मदद का उजियारा

भरतपुर. Rajasthan Patrika CampaignBlind : Monu started getting help ‘अभी नापी है मुट्ठी भर जमीं, उडऩे को अभी आसमान बाकी है।’ अपने शहर के पुरोहित मोहल्ला निवासी मोनू शर्मा का दर्दभी कविता की इन्हीं पंक्तियों में छिपा हुआ है। अब पत्नी ही उसकी हिम्मत बनी हुई है। चार साल पहले कुदरत ने आंखों की रोशनी को छीन लिया और अब सिस्टम ने घर की रोशनी बंद कर दी, लेकिन वह हार नहीं मानी।

शुक्रवार को कलक्ट्रेट में जिला कलक्टर डॉ. आरुषि अजेय मलिक (Dr. Arushi Ajey Malik) से मिलने के लिए पति-पत्नी पहुंचे। कलक्टर उसे देखकर रुकी और समस्या के बारे में पूछा। इस पर मोनू ने जिला कलक्टर को बताया कि पिछले चार साल से उसका परिवार बड़ी मुश्किल से जीवनयापन कर रहा है। क्योंकि चार साल पहले ही उसकी आंखों की रोशनी चली गई थी। इसलिए वह कोई रोजगार नहीं कर सकता है। हाल में ही बिजली कंपनी ने बकाया बिल जमा नहीं होने पर उसका कनेक्शन काट दिया। इस पर जिला कलक्टर ने बिजली कंपनी (BESL)के अधिकारियों से बात कर उसका कनेक्शन चालू कराने को कहा। करीब तीन घंटे बाद ही उसका कनेक्शन चालू कर दिया गया। राजस्थान पत्रिका ने 10 अगस्त के अंक में ‘चार साल पहले आंखों में सफेदी जाने से चली गई रोशनी अब पत्नी ही बनी पूरे परिवार का सहारा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद मोनू शर्मा के परिवार की मदद के लिए अब मददगार आगे आने लगे हैं।

लाखों रुपए इलाज में लगाए पर नहीं मानी हार
मोनू शर्मा की पत्नी रेणु शर्माने बताया कि उसके ससुर वेदप्रकाश शर्मा व एकमात्र देवर की सालों पहले ही मौत हो चुकी है। उसका परिवार पुरोहित मोहल्ला चांदनी मैरिज होम के पीछे एक छोटे से मकान में रहता है। मकान की हालत भी कुछ ठीक नहीं है। चार साल पहले तक पति मोनू शर्मा जयपुर मालवीय नगर स्थित एक स्टोर में अच्छी खासी नौकरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहा था। अचानक एक दिन घर पर पुताई करते समय आंखों में सफेदी चली गई। अलीगढ़, दिल्ली, जयपुर, अमृतसर समेत कई स्थानों पर जाकर इलाज में लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन डॉक्टरों ने दोनों आंखों के परदे खराब होने की बात कहकर रोशनी वापस आने से इंकार कर दिया।

कभी तो भोजन भी नहीं करता परिवार
मोनू शर्मा के परिचितों ने बताया कि परिवार की आर्थिक हालत इतनी दयनीय है कि उसे हर महीने दिव्यांगजन पेंशन योजना के तहत 750 रुपए मिलते हैं। मां सीता शर्मा भी मानसिक रोग से ग्रस्त है, उनका भी इलाज चल रहा है। मोनू के तीन बच्चे हैं। पत्नी कुछ माह पहले तक एक घर में झाडू-पौंछा करती थी, लेकिन वह परिवार बाहर चला गया। अब उनके पास आजीविका का कोईसाधन नहीं है। कभी-कभी तो परिवार की हालत ऐसी हो जाती है कि वह भोजन भी नहीं कर पाता है।

पत्रिका की पहल पर आगे आए मददगार
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 10 अगस्त के अंक में ‘चार साल पहले आंखों में सफेदी जाने से चली गई रोशनी अब पत्नी ही बनी पूरे परिवार का सहारा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसमें बताया था कि पुरोहित मोहल्ला निवासी मोनू शर्मा की चार साल पहले घर पर ही पुताई करते समय आंखों में सफेदी जाने से आंख खराब हो गईथी। इलाज में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी कोईलाभ नहीं मिल सका। हाल में ही बकाया राशि के कारण बिजली कनेक्शन कटने पर उसने जिला कलक्टर से गुहार लगाईथी। इसके बाद उसके घर का बिजली कनेक्शन चालू कर दिया गया है। इधर, एसडीएस पब्लिक सीनियर सैकंडयरी स्कूल बीनारायण गेट के संचालक प्रदीप शर्मा ने खबर पढने के बाद मोनू शर्मा के तीनों बच्चों की कक्षा 10वीं की तक की निशुल्क पढ़ाई करने का निर्णय लिया है।

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