इनके सामने से हटेगा राजकीय शब्द
हाल ही में तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने 27 अगस्त 2019 को भरतपुर, अजमेर महिला, अजमेर, बाड़मेर, झालावाड़, धौलपुर, करौली, बारां, बीकानेर, बांसवाड़ा व माणकलाल वर्मा टैक्सटाइल एण्ड इंजीनियरिंग कॉलेज भीलवाड़ा को आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में लिखा गया है कि उक्त अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के नाम से पहले ‘राजकीयÓ शब्द का प्रयोग नहीं किया जाए बल्कि इन सोसायटी मोड पर संचालित अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के साथ ‘एन ऑटोनोमस इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट ऑफ राजस्थान’ का प्रयोग किया जाए।
सरकारी के नाम पर खोले गए थे चार कॉलेज
वर्ष2007 में प्रदेश में चार भरतपुर, बीकानेर, झालावाड़ व अजमेर में महिला अभियांत्रिकी महाविद्यालय खोले गए।उस समय की बजट घोषणा में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री ने साफ शब्दों में घोषणा की थी कि उक्त चारों अभियांत्रिकी महाविद्यालय सरकारी क्षेत्र में खोले जा रहे हैं। लेकिन बाद में इनको सोसायटी के अधीन कर दिया गया।
राजकीय क्षेत्र में लेने का था प्रावधान
जानकारी के अनुसार प्रदेश में सोसायटी के अधीन संचालित सभी अभियांत्रिकी महाविद्यालयों कोराजकीय क्षेत्र में लेने का प्रावधान था। लेकिन गत भाजपा सरकार द्वारा विधेयक पारित नहीं किए जाने के कारण उक्त सोसायटी द्वारा संचालित अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को राजकीय दर्जा नहीं दिया जा सका।
ऐसे में कैसे आकर्षित होंगे विद्यार्थी
विभाग के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि युवाओं का इंजीनियरिंग की पढ़ाई से मोहभंग हो रहा है। यही वजह है कि गत वर्ष2018-19 में प्रदेश के 18 सरकारी (सोसायटी समेत) व सौ से अधिक निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 39,127 सीटों पर सिर्फ 13,915 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था यानी पूरे प्रदेश में 64.43 प्रतिशत सीट रिक्त रह गई थीं। ऐसे में बीते आठ साल से जिन अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को सरकारी समझकर युवा प्रवेश ले रहे थे, उनके नाम के आगे से राजकीय शब्द हटने के बाद विद्यार्थी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
करौली अभियांत्रिकी महाविद्यालय में एक भी प्रवेश नहीं
जानकारी के अनुसार भरतपुर के अभियांत्रिकी महाविद्यालय परिसर में संचालित धौलपुर व करौली के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के हालात दयनीय हैं। वर्तमान में राजकीय शब्द लगने के बावजूद इन महाविद्यालयों में विद्यार्थीप्रवेश लेने से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि इस बार धौलपुर अभियांत्रिकी महाविद्यालय में 3 और करौली अभियांत्रिकी महाविद्यालय में एक भी प्रवेश नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं धौलपुर व करौली अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में 6 00-6 00 सीटों पर क्रमश: सिर्फ 9 व 5 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।