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भरतपुर

राजस्थान में सामने आया अंधविश्वास का घिनौना खेल, परिवार ने अपने ही बेटे की दी ‘नरबलि’

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भरतपुरJun 29, 2018 / 12:37 pm

Nidhi Mishra

Superstition in Rajasthan - Son Killed on the Name of Superstition

Superstition in Rajasthan – Son Killed on the Name of Superstition

भरतपुर। राजस्थान की छवि रंगीले प्रदेश के रूप में विश्व विख्यात है, लेकिन इसका एक स्याह पक्ष भी है। प्रदेश में अंधविश्वास इस कदर हावी है कि इनके तहत होने वाली घटनाएं कल्पना से परे लगती हैं। ऐसा ही एक वाकया सामने आया है राजस्थान के भरतपुर जिले में। जिले के वैर के खोहरी गांव में नरबलि की आशंका जताई जा रही है। यहां बीती रात एक किशोर की नरबलि दिए जाने की आशंका है।

इन सबूतों से नरबलि की आशंका
किशोर के घर में कमरे के अंदर अगरबत्तियां लगी हुई मिलीं और खून के धब्बे भी पाए गए हैं। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंच गई है और मामले की छानबीन में जुटी है। ग्रामीणों में चर्चा है कि दसवीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे की नरबलि दी गई है। परिजनों ने बच्चे का गुपचुप अंतिम संस्कार भी कर दिया। बच्चे की नरबलि किस अंधविश्वास के चलते दी गई, ये जानकारी पूछताछ के बाद ही सामने आ सकेगी। मामले में फिलहाल और जानकारी जुटाई जा रही है।
क्या नहीं छंटेगा अंधविश्वास का अंधेरा…?
एक तरफ जहां प्रदेश विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, सफलता के नए आयाम गढ़ रहा है, तकनीक और साइंस की बात कर रहा है… वहीं राज्य में कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि सुन कर लगता है राजस्थान में इस अंधविश्वास का अंधेरा मानो कभी छंटेगा ही नहीं। ऐसे में लोग ये तक भूल जाते हैं कि वो किसी को दुख पहुंचा रहे हैं। उनके सोचने समझने की शक्ति इतनी कम हो चुकी होती है कि मासूमों तक के लिए वो जान लेने की हद तक अत्याचार कर जाते हैं। कई बार मासूमों की जान तक ले लेते हैं। अंधविश्वास से सब ठीक कर देने की आड़ लेकर लोगों किस स्तर तक पहुंच जाते हैं, आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते। कुछ और किस्से भी आज आपके साझा करते हैं, जिसकी दहशत की आंच प्रदेश के साथ ही पूरे देश में फैली और लोगों को झकझोर कर रख दिया।
1. 10 माह पहले मरे बेटे को तंत्र विद्या से जिंदा करने का मामला

धौलपुर जिला मुख्यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूर स्थित गांव बेबलपुर लुहारी में एक तांत्रिक ने अपने ही 10 माह पहले मरने के बाद जमीन में गाड़े गए बच्चे को तंत्र विद्या के साथ सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में बाहर निकाला और अपने धार्मिक स्थल पर ले गया। जहां तंत्र विद्या के सहारे बच्चे को जिंदा करने के प्रयास के साथ लोंगो से 7 दिन में पूजा पाठ के बाद बच्चे को जिंदा करने का दावा किया। करीब 30 वर्षीय रामदयाल कुशवाहा पुत्र उत्तम सिंह निवासी बेबलपुर लुहारी धौलपुर के 10 माह के इकलौते बेटे की करीब 10 माह पहले मौत हो गई थी। ग्रामीण बताते हैं कि मौत का कारण रामदयाल भूत-प्रेत का साया मानता है। मृतक बच्चे को गांव के पास ही खेत में गड्ढा खोदकर दफना दिया गया था। ग्रामीणों ने बताया कि रामदयाल भैरो बाबा और माता का पुजारी है, उसने गांव में पूजा अर्चना करने अपना स्थान भी बना रखा है। जहां वह प्रतिदिन पूजा अर्चना करता है। रविवार सुबह रामदयाल ने परिजनों को बताया कि रात को उसे भैरो बाबा और माता ने सपना दिया है कि तेरा बेटा अभी जिंदा है, उसे खोद कर निकाल ले। इस पर रामदयाल ने रविवार शाम को आसपास के 12 गांव में नाई से लोगों को बुलावा लगवाया दिया कि सोमवार को सुबह 10:25 बजे गड्ढा खोदकर बेटे को बाहर निकाला जाएगा और जिंदा किया जाएगा।
2. आत्मा लेने अस्पताल पहुंच गए परिजन
मामला है कोटा के एक अस्पताल का, जहां कुछ लोग ढ़ोल बाजे के साथ आत्मा लेने अस्पताल पहुंच गए। बताया जा रहा है कि करीब तीन महीने पहले रामदेव भील नामक युवक की अस्पताल में इलाज के दौरान ही मौत हो गई थी। यह युवक सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था।
युवक की मौत के सदमे में उसकी पत्नी की तबियत भी खराब रहने लगी। लेकिन अन्धविश्वास के चलते किसी ने उन्हें अस्पताल में इस तरह से टोटका करने की हिदायत दी कि वह अस्पताल में जाकर मृतक के वार्ड के पास पूजा करे तो उसकी पत्नी सही हो जाएगी। बस फिर क्या था परिजनों ने इस बात का विश्वास करते हुए मृतक की आत्मा को अस्पताल लेने पहुंच गए। अस्पताल में सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोका लेकिन कुछ महिलाएं सीधे आईसीयू के गेट के पास जा पहुंची। उन्होंने वार्ड के पास ही दरवाजे पर नारियल, गेंहू, अगरबत्ती चढ़ाकर पूजा की और करीब दस मिनट बाद वहां चले गए। वार्ड के गेट के पास यह सब सामान पड़ा देख वहां भर्ती मरीज और उनके परिजन सकते में आ गए। बाद में पता चला कि जिन लोगों ने यहां टोटका किया उनके परिवार में से किसी की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई थी। इसके चलते वे यहां अस्पताल में आत्मा लेने आए थे।

3. डायन प्रथा से महिलाओं पर बेहिसाब अत्याचार

प्रदेश के भीलवाड़ा में आज भी डायन प्रथा को मानने वाले लोग हैं। फिर उसे भगाने के नाम पर महिलाओं पर जो अत्याचार होते हैं उसे सिर्फ सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाएं। अनपढ़ भोपा या ओझा औरतों के मुंह में जूते ठूंस देते हैं। इन्हीं जूतों में पानी भरकर पिलाते हैं। जूतों से पिटाई करते हैं। कई बार इन्हीं जूतों को सिर पर रखवा कर मंदिर की सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ने—उतरने को मजबूर करते हैं। भीलवाड़ा जिले के आसिंद कस्बे स्थित बंक्याणी माता के मंदिर में डायन और भूत-प्रेत भगाने का दावा किया जाता है। बेहोश होने तक महिला को मंदिर की सीढ़ियां चढ़नी उतरनी होती हैं। हर शनिवार और रविवार को करीब 10 से ज्यादा भोपा करीब 300 महिलाओं के डायन उतारने का काम करते हैं। एक डायन उतारने का 500 से 1000 रुपया लिया जाता है। यहां तक कि कबाड़ी से भी फटे-पुराने फेंके हुए चमड़े के जूते को दो रुपयों में बेचा जाता है।

ये सब तो बानगी भर है और वो जो सामने आया है। इसके अलावा ना जाने कितनी मासूम और निर्दोष जानें हर दिन अंधविश्वास की भेंट चढ़ रही होंगी, जिनकी आह तक कभी किसी के कानों तक नहीं पहुंच पाई होगी।

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