वहीं, भरतपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो यह भी कम रोचक नहीं है। इस लोकसभा सीट पर जीत का रिकॉर्ड हमेशा ही चर्चा का विषय बना रहता है। लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड टूट पाता है या नहीं…यह बात दिलचस्प है। क्योंकि भाजपा ने इस बार वर्तमान सांसद का टिकट काटकर रंजीता कोली को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने परंपरागत रिवाज को खत्म करते हुए अभिजीत कुमार को मैदान में उतारा था। इसके अलावा बसपा ने भी डीग-कुम्हेर के वोटों के गणित को देखते हुए पूर्वप्रधान सूरज सिंह को मैदान में उतारा था। हालांकि 1977 के लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बहादुरसिंह कोली के नाम ही सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। क्योंकि वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टीके प्रत्याशी पं. रामकिशन शर्मा ने तीन लाख 63 हजार 883 मतों में से दो लाख 56 हजार 887 मत प्राप्त किए थे। उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के राजबहादुर को मात्र एक लाख 398 वोट ही मिले थे। जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बहादुर सिंह कोली ने नौ लाख 56 हजार 497 मतों में से पांच लाख 79 हजार 825 मत प्राप्त कर दो लाख 45 हजार 468 मतों से कांग्रेस के डॉ. सुरेश यादव को पराजित किया था। अगर मतदान प्रतिशत के हिसाब से बात करें तो वास्तविक नतीजे क्या रहेंगे, यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब भी मतदान प्रतिशत बढ़ता है तो उसका फायदा भाजपा को ही मिलता है। हालांकि यह अपवाद भी हो सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में भरतपुर सीट पर 18 फीसदी मतदान बढ़ा था तो भाजपा ने यह सीट 2.45 लाख वोट के अंतर से जीती थी। लेकिन, चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इस बार 5 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 6 0 फीसदी वोटिंग हुई है। इनमें नगर, कामां, कठूमर, भरतपुर और नदबई हैं। नगर, कामां, और कठूमर में मेव एवं अनुसूचित जाति गठजोड़ की वजह से कांग्रेस को फायदा हो सकता है। वहीं भरतपुर शहर, डीग-कुम्हेर और नदबई विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रभावी दिखती है। इस बार कठूमर में 59.8 1, कामां में 6 0.54, नगर में 59.8 3, डीग-कुम्हेर में 57.12, भरतपुर में 6 0.95, नदबई में 59.79, वैर में 57.11, बयाना में 55.46 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि कुल मतदान 58.82 प्रतिशत हुआ था। वहीं, सबसे कम वोटों से हार-जीत वर्ष 1957 में हुई थी। वर्ष 1957 में कांग्रेस के राजबहादुर मात्र 2886 मतों से जीते। उन्हें 50.67 प्रतिशत वोट ही मिले। जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी गिर्राजशरण सिंह को 49.33 प्रतिशत मत मिले थे। वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 1977 में जनता पार्टीके पं. रामकिशन शर्माने 70.06 प्रतिशत और सबसे कम वर्ष 1952 में गिर्राजशरण सिंह ने 28.57 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी।