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19 करोड़ के ठेके के पीछे छिपा है ये राज…

-निजी कंपनी को सफाई ठेका देने का विरोध, पार्षद बोले: आनन-फानन में बैठक की बनाई जा रही योजना

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19 करोड़ के ठेके के पीछे छिपा है ये राज...

19 करोड़ के ठेके के पीछे छिपा है ये राज...

भरतपुर. पिछले करीब एक साल से निजी कंपनी को सफाई व्यवस्था का जिम्मा देने के मामले में अब दुबारा से विरोध शुरू हो गया है। पार्षदों के चंडीगढ़ भ्रमण के बाद यह मामला शांत था, परंतु अचानक नगर निगम की प्रस्तावित बैठक की सूचना मिलते ही विरोधी पार्षदों का गुट सक्रिय हो गया है। गुरुवार को एक स्थान पर विरोधी पार्षदों ने बैठक कर आरोप लगाया कि नगर निगम की बैठक आनन-फानन में रखी जा रही है, ताकि निजी कंपनी को सफाई ठेका देने की कवायद पूरी की जा सके। उल्लेखनीय है कि नगर निगम की साधारण सभा की बैठक 22 सितंबर को प्रस्तावित बताई जा रही है। इसमें नई सफाई व्यवस्था का एजेंडा पास कराने के लिए रखा जा सकता है। विरोधी पार्षदों को इस बात की भनक लगते ही अब विवाद शुरू हो गया है।
बैठक में पार्षदों ने कहा कि निजी कंपनी को सफाई व्यवस्था का जिम्मा देने का विरोध किया जाएगा। मेयर पार्षदों को लोभ देकर राजनीति कर रहे हैं। शहर में टूटी सड़क व नालियों को लेकर कोई ध्यान नहीं है। बंदर व सांडों से जनता परेशान हो चुकी है। अभी तक इन समस्याओं पर नगर निगम का कोई ध्यान तक नहीं गया है। अगर इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो सार्वजनिक मंच के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। वर्तमान में संचालित सफाई व्यवस्था कम खर्चीली है। उसे कंपनी आने के बाद निगम से बड़ी राशि का भार पड़ेगा। जनता से भी 100-200 रुपए प्रतिमाह वसूल किए जाएंगे। इससे आमजन में असंतोष बढ़ेगा। इसके अलावा सूअरों से हो रहे हादसों को लेकर भी नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है। बैठक में नरेश कुमार, श्यामसुंदर गौड़, कपिल फौजदार, शिवानी दायमा, वीरमति, विमलेश, दीपक मुदगल, रेखा रानी, किरन राणा, भरत धाऊ, मनोज सिंह आदि के हस्ताक्षर हुए हैं।

यह है विवाद

नगर निगम की ओर से जून माह में हुई बैठक के एजेंडा में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। इस प्रस्ताव को लेकर पार्षदों में विरोध के स्वर मुखर हो चुके थे। बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सफाई व्यवस्था पर करीब साढ़े 11 करोड़ रुपए व्यय किए गए। अब जो प्रस्ताव बनाया गया है उसके सालाना करीब 19 करोड़ 18 लाख रुपए व्यय होंगे। ऐसे में पार्षदों के एक गुट ने विरोध कर दिया था। इसमें तय हुआ था कि विरोध करने वाले पार्षदों के साथ एक कमेटी बनेगी। जो कि संबंधित शहर का भ्रमण कर रिपोर्ट देगी। चंडीगढ़ भ्रमण को लेकर भी खूब विरोध हुआ। अंत में मेयर समर्थित एक गुट भ्रमण पर भी गया था।

राजनीति या स्वार्थ किसका...

1. मेयर समर्थित गुट आरोप लगा चुका है कि वर्तमान सफाई ठेकेदार ही निजी कंपनी का विरोध करा रहा है। कंपनी से सफाई व्यवस्था सुधरेगी। वर्तमान सफाई व्यवस्था कानूनन गलत है और घोटाला भी हो रहा है।

2. सफाई व्यवस्था का विरोध कर रहे पार्षदों के गुट का आरोप है कि यह सफाई व्यवस्था जनता पर बोझ डालेगी। यह सिर्फ कमीशनबाजी को लेकर तैयार की गई योजना है। इसमें मेयर का स्वार्थ छिपा हुआ है।