यह है विवाद नगर निगम की ओर से जून माह में हुई बैठक के एजेंडा में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। इस प्रस्ताव को लेकर पार्षदों में विरोध के स्वर मुखर हो चुके थे। बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सफाई व्यवस्था पर करीब साढ़े 11 करोड़ रुपए व्यय किए गए। अब जो प्रस्ताव बनाया गया है उसके सालाना करीब 19 करोड़ 18 लाख रुपए व्यय होंगे। ऐसे में पार्षदों के एक गुट ने विरोध कर दिया था। इसमें तय हुआ था कि विरोध करने वाले पार्षदों के साथ एक कमेटी बनेगी। जो कि संबंधित शहर का भ्रमण कर रिपोर्ट देगी। चंडीगढ़ भ्रमण को लेकर भी खूब विरोध हुआ। अंत में मेयर समर्थित एक गुट भ्रमण पर भी गया था।
राजनीति या स्वार्थ किसका… 1. मेयर समर्थित गुट आरोप लगा चुका है कि वर्तमान सफाई ठेकेदार ही निजी कंपनी का विरोध करा रहा है। कंपनी से सफाई व्यवस्था सुधरेगी। वर्तमान सफाई व्यवस्था कानूनन गलत है और घोटाला भी हो रहा है।
2. सफाई व्यवस्था का विरोध कर रहे पार्षदों के गुट का आरोप है कि यह सफाई व्यवस्था जनता पर बोझ डालेगी। यह सिर्फ कमीशनबाजी को लेकर तैयार की गई योजना है। इसमें मेयर का स्वार्थ छिपा हुआ है।