अलवर के गोविंदगढ़ निवासी बोलेरो सवार गोवर्धन परिक्रमा देने जा रहे थे। तभी रास्ते में यह हादसा हुआ। हादसे के बाद ट्रक चालक मौके से फरार हाे गया। घटना नगर थाना क्षेत्र के गांव पीलूकी की है।
राजस्थान में हर दूसरे दिन कोई न कोई काल के गाल में समा रहा है, जबकि रोजाना दर्जनाें लोग जख्मी होकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं, लेकिन सरकार ने आंखें मूंद रखी है। सड़क हादसों के लिए जिम्मेदारी को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। हादसों के लिए किसी की जिम्मेदारी तय न होने के चलते भी प्रशासनिक अमला इसको लेकर लापरवाह बना रहता है।
सवार्इमाधाेपुर जिले में बस के पुल से नीचे गिरने से 23 दिसंबर काे 34 लाेग माैत के मुंह में समा गए थे। इस हादसे के जख्म भरे भी नहीं थे कि बुधवार काे सीकर में हुए हादसे ने हर किसी काे हिला दिया। दर्दनाक हादसे में 11 यात्रियों की मौत हो गई आैर 23 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। लोक परिवहन की बस सरदारशहर से जयपुर जा रही थी। सुबह करीब आठ बजे हुए हादसे में ट्रोले का केबिन टूट गया और बस का एक तरफ का हिस्सा पूरी तरफ से साफ हो गया। सीटें भी टूटकर बाहर निकल गई और उनमें सवार यात्रियों के शव वहीं पर फंस गए।
अगर हादसाें की वजह पर गाैर किया जाए ताे हादसे की मुख्य वजह मानवीय भूल, प्रशिक्षित चालक का वाहन न चलाना, ओवरस्पीड, खराब सड़कें, काेहरा आैर शराब पीकर वाहन चलाना है। राजस्थान सडक़ हादसों के मामलों में तो देश में सातवें नंबर पर है, लेकिन इन हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में प्रदेश का नंबर पांचवा हैं। घायलों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है।
प्रदेश में औसतन हर दिन 28 लोग अपने घरों से तो निकलते हैं लेकिन वे हादसों का शिकार हो जाने के कारण घर नहीं पहुंच पाते। 2017 में जनवरी से लेकर अक्टूबर के महीने तक सडक़ हादसों में 8636 लोगों की मौत हो चुकी है। ये मौतें 18400 से भी ज्यादा सडक़ हादसों में हुई हैं। इन हादसों में मौतों के अलावा 18415 घायल भी हुए। इनमें आधे लोग ऐसे हैं जो जीवन भर के लिए अपने अंग खो चुके हैं। इतनी मौतों के बाद भी राजस्थान सरकार हादसों को रोकने में नाकाम है।