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भरतपुर

ब्रज के आंगन की तुलसी माला बन रही विदेशियों की पसंद

-राधाकुंड में 10 रुपए से लेकर 30 हजार रुपए तक की बिक रही है कंठी माला- कंठी पर प्रभु के नाम से लेकर उनकी तस्वीर कर रही है भक्तों को आकर्षित

भरतपुरOct 20, 2021 / 05:19 pm

Meghshyam Parashar

ब्रज के आंगन की तुलसी माला बन रही विदेशियों की पसंद

ब्रज के आंगन की तुलसी माला बन रही विदेशियों की पसंद

भरतपुर/गोवर्धन. राधा-कृष्ण नाम तो कहीं उनकी युगल स्वरूप की तस्वीर से बनी कंठी माला, किसी माला की आकृति शंख की है तो किसी माला में जगन्नाथ प्रभु विराजमान हैं ऐसी सैकड़ों प्रकार की तुलसी से बनी कंठी माला राधाकुंड में कार्तिक नियम सेवा में आने वाले भक्तों को आकर्षित कर रही हैं। भक्तों का भाव माला को गले से पहनने से लेकर जप करने का है। यही कारण है कि ब्रज के आंगन की तुलसी कंठी माला बनकर देश ही नहीं बल्कि सात समुंदर पार अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों में इस्कॉन अनुयायियों के माध्यम से पहुंच रही है। राधाकुंड में गौड़ीय सम्प्रदाय से जुड़े वैष्णव राधा-कृष्ण नाम की तुलसी धारण कर रहे हैं। हिंदु धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है इसलिए ज्यादातर घरों के आंगन में तुलसी का पौधा होता है। भगवान विष्णु, कृष्ण और राम के भक्त गले में तुलसी की माला ग्रहण करते हैं। संत परीक्षित दास महाराज ने बताया कि तुलसी की माला धारण करने वाले भक्त पर भगवान की सदैव कृपा रहती है। इसलिए वैष्णव को गले में माला धारण करना जरूरी है। वृंदावन माला के संचालक प्रहलाद दास ने बताया कि तुलसी की माला दस रुपए से तीस हजार रुपए तक की बिक्री हो रही है। लाखों की मालाएं विदेश में पहुंचती हैं वहां कृष्ण भक्त गले में धारण करते हैं और भगवान का जप करते है।
हजारों को स्वरोजगार दे रही है तुलसी की माला

राधाकुंड में नियम सेवा में तुलसी की मालाओं की खरीदारी बढ़ गई है। तुलसी की माला को बारीकी से बनाने के लिए समय और परिश्रम की आवश्यकता है। ब्रज के राधाकुंड के साथ-साथ राजस्थान के कामां व अन्य गांवों में घर-घर तुलसी की माला बनाई जाती है। जो कि लोगों के स्वरोजगार का साधन बनी हुई है। कई प्रांतों से लोग आकर इस व्यवसाय से जुड़कर मुनाफा कमाते हैं। जैंत गांव में तुलसी की फसल कर किसान खूब लाभ कमा रहे हैं।
प्रभु के नाम व उनकी तस्वीर की बनी है कंठी माला

प्रभु के चरण दर्शन से लेकर युगल स्वरूप व नाम से तुलसी की कंठी माला बनी हुई हैं। माला के निर्माण में कालाकारों की बारीकी देखते ही बनती है। राधाकुंड में राधा-कृष्ण, सीताराम, जगन्नाथ, बल्देव, सुभद्रा, शंख, नृसिंह भगवान की आकृति तुलसी की मालाओं पर बनी हुई है।
भक्तों के भाव के अनुरूप करते हैं तैयार

राधाकुंड में बनी तुलसी की कंठी भक्तों को आकर्षित कर रही है। यहां हजारों प्रकार की माला बनी हैं। माला तैयार करने वाले राधा नगर कॉलोनी निवासी वृंदा माला के संचालक प्रहलाद दास ने बताया कि भक्तों के भाव के अनुरूप तुलसी की माला तैयार करते हैं। उनके यहां से विदेशी भक्त माला ले जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल के चलते तुलसी की माला के व्यवसाय पर असर पड़ा है लेकिन इस बार ब्रज में मेला लगने से बिक्री की उम्मीद है। दुकानदार साधन दास ने बताया कि कार्तिक नियम सेवा में आने वाले भक्त तुलसी की माला की खरीदारी करते हैं। पूरे साल के परिश्रम के बाद इस माह में आमदनी की उम्मीद रहती है। गौरकिशोर दास ने बताया कि नियम सेवा में हजारों भक्त राधाकुंड में रूके हैं। गिरिराज जी की परिक्रमा में माला झोली व कंठी माला के 108 जप से करते हैं। नुपूर दास ने बताया कि तुलसी की माला मेहनत से तैयार होती है इसका काम सीखना पड़ता है।

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