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भरतपुर

हर माह पोषाहार पर दो करोड़ रुपए खर्च, फिर भी औचक निरीक्षण के नाम पर सिर्फ दिखावा

-आकस्मिक निरीक्षण से पहले सूचना देने से जमीनी हालात सामने आने में संशय-सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के इंतजाम देखने के लिए आयुक्तालय ने कलक्टरों को दिए निर्देश

भरतपुरFeb 24, 2020 / 10:41 pm

Meghshyam Parashar

भरतपुर. मिड डे मील आयुक्तालय ने जिलेभर के सरकारी स्कूलों में चल रहे दोपहर के भोजन और दूध वितरण योजना का जायजा लेने के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया है। हास्यास्पद यह है कि इसे औचक निरीक्षण का नाम दिया जा रहा है, जबकि प्रशासन ही नहीं, पंचायती राज के ब्लॉक स्तरीय और शिक्षा विभाग के जमीनी स्तर के अधिकारियों को इसकी सूचना दी जा रही है। आकस्मिक निरीक्षण से पहले बकायदा उनकी 25 फरवरी को बैठक करना भी तय किया गया है, इसमें उन्हें बता दिया जाएगा कि किस तरह निरीक्षण करना है, क्या बिंदु होंगे और कौन सा प्रपत्र भरा जाएगा। ऐसा पहली बार नहीं है कि जब औचक निरीक्षण का नाम देकर सारी सूचनाएं सार्वजनिक हो रही है। हर साल पोषाहार का निरीक्षण करने के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। यह हालत तब है जब जिले के 1743 सरकारी स्कूलों में हर माह पोषाहार पर दो करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। जब स्कूलों के पोषाहार प्रभारी व संस्था प्रधानों को पता ही है कि निरीक्षण होना है तो अगले दो-चार दिन के लिए व्यवस्थाओं को सही रखना उनके लिए भी कोई बड़ा काम नहीं है। अब 27 व 28 फरवरी को जिले के 258 स्कूलों का करीब 135 अधिकारी निरीक्षण करेंगे।
सरकारी स्कूलों में मिड डे मील, खासकर दूध वितरण योजना की क्रियान्विति को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं। दूध की गुणवत्ता, इसके माप और फर्जी भुगतान उठाने के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे में इस तरह घोषित तौर पर निरीक्षण करने को लेकर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। स्कूली शिक्षा से जुड़े लोग व जानकार बताते हैं कि ऐसे निरीक्षण के तय समय पर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने का जिम्मेदारों का मौका मिल जाएगा। यह आशंका है कि जमीनी हालात सामने नहीं आ पाएं। हाल में ही सेवर, कुम्हेर, नगर के कुछ स्कूलों में पोषाहार के नाम पर स्वयंसहायता समूह व ठेकेदारों की ओर से गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री सप्लाई करने के मामले सामने आए।
पोषाहार संबंधी शिकायतों की नहीं होती सही जांच
हकीकत यह है कि पोषाहार व दूध योजना से संबंधित शिकायत आए दिन आती रहती हैं, लेकिन शिकायत होते ही कुछ दिन के लिए संबंधित स्कूल में व्यवस्थाओं को सही कर दिया जाता है। इसके पीछे एक और हकीकत यह है कि इस व्यवस्था से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों की शह पर ही पोषाहार में गड़बड़ी का खेल चलता है। इससे अगर शिकायत भी होती है तो उसे दबा दिया जाता है। पोषाहार का प्रभारी बनने के लिए भी रसूखदार नेताओं का दबाव तक शामिल होता है।
निरीक्षण के खास बिंदु
-हर जिले में 27-28 फरवरी को कम से कम 20 प्रतिशत स्कूलों का चयन कर औचक निरीक्षण किया जाएगा।
-चयनित स्कूलों में 20 प्रतिशत दूरस्थ एवं दुर्गम स्थानों के होंगे।
-जिनका पिछले दो साल में एक बार भी निरीक्षण नहीं हुआ, उन्हें भी शामिल किया जाएगा।
-हर श्रेणी के स्कूल निरीक्षण में शामिल किए जाएंगे।
-जिला कलक्टर निरीक्षण दल गठित करेंगे, जिनमें जिला परिषद् सीईओ, एसीईओ, एसडीएम, तहसीलदार, जिला व ब्लॉकस्तरीय शिक्षा अधिकार होंगे। गठन व निरीक्षणकर्ता को 26 फरवरी तक सूचित करना होगा।
-कलक्ट्रेट स्तर पर जिला शिक्षा एवं ब्लॉक स्तर पर बीइइओ कार्यालय में संबंधितों को 25 फरवरी को निरीक्षण संबंधी ब्यौरा दिया जाएगा।
-निरीक्षण के दिन सुबह 10 बजे दल रवाना होंगे और कुल दलों की सूचना मोबाइल पर मिड डे मील आयुक्त को मोबाइल पर देनी होगी।
-पंचायत समिति स्तर के निरीक्षण दलों की संख्या व रवाना होने की सूचना बीइइओ को देंगे।
-निरीक्षण की पूरी रिपोर्ट तय फॉर्मेट में भरकर शाम छह बजे उसी दिन आयुक्तालय को ई-मेल पर भेजनी होगी।
-ब्लॉक स्तर से सूचनाओं का संकलन कर कलक्टर के माध्यम से आयुक्तालय भेजी जाएगी।
-पाई गई कमियों पर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। गबन, अनियमितता पर चोरी के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित करनी होगी।
-ब्लॉकवाइज अधिकारियों व स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है। करीब 258 स्कूलों का निरीक्षण संबंधित अधिकारियों के माध्यम से कराया जाएगा। निरीक्षण के बाद उनकी रिपोर्ट निर्धारित प्रपत्र में आयुक्तालय को भेजी जाएगी।
सुनील कुमार अग्रवाल
प्रभारी मिड डे मील

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