मेला मीडिया प्रभारी राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि शुरूआत में ही ललितेश कुशवाह ने अपनी रचना सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। लक्ष्मण चौधरी ने Þबड़ा पेट इतना न कर तू जिसकी न भरपाई हो…, कवि पूरन शर्मा ने Þवन के सुमन भारती के बहाल जो चढ़े थे ऐसे शूरवीरों को नमन करता हूंÓसूनाकर देश प्रेम का संदेश दिया।
द्वारिका पाराशर ने Óआंतकवाद न फैले न हर सूऐ दोस्तों नामों निशान उसका मिटाने की बात होÓÓ सुनाई। नरेन्द्र निर्मल ने ‘युगों-युगों से मिटते आए समां पर परवाने सुनाई। रामबाबू विद्रोही ने Þ देश हमें देता सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें…सुनाकर आपसी भाईचारा का संदेश दिया। डीग से कवि मनोज मनु ने मेरे दश के एक शेर ने कर दिया काम करारा, सोमदत्त व्यास ने ‘कश्मीर पर जो ठोके ताल पाक की मजाल पांव में पटेल वाला जूता होना चाहिए।
श्याम सिंह जघीना ने ‘कवि बलिदानियों की कहानी लिखो, भगवान सिंह भवंर ने ‘चंद टुकड़ों में यूं न बिके आदमी धर्म पर ईमान पर तो टिके आदमी…Ó सुनाई। नगर से कवि हरिश्चन्द्र हरि ने ‘जिस जंगल में घर है तेरा जंगल राज हुआ।