उन्होंने कहा कि कोविड संकट के कारण पैदा हुए इन अनिर्धारित हालत में प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधकों और प्रमोटरों समेत हरेक की समाज के प्रति जि़म्मेदारी बनती है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि प्राइवेट अस्पताल समय की नज़ाकत को समझते हुये कोविड -19 के मरीज़ों से हद से अधिक पैसे नहीं वसूलेंगे जिसकी बड़े स्तर पर रिपोर्ट सामने आईं हैं।
सरदार सिद्धू ने श्री गुरु रामदास चैरिटेबल अस्पताल ट्रस्ट, अमृतसर की तरफ से एक ताज़ा ऐलान का हवाला दिया जिसमें इस अस्पताल की तरफ से कोविड के इलाज के लिए ए.सी. कमरों को साझा करने के लिए सात दिनों के पैकेज के लिए 50,000 रुपए की दर निर्धारित की गई है, जबकि नॉन -एसी कमरों के लिए सात दिनों के लिए यह दर 35,000 रुपए है। जरूरत पडऩे पर वेंटिलेटर ख़र्च सिफऱ् 6000 रुपए प्रति दिन है।
मंत्री ने बिना किसी प्राइवेट अस्पताल का नाम लिए कहा कि इसके मुकाबले कुछ प्राइवेट अस्पताल मरीज़ों से प्रति दिन 30,000 से 50,000 रुपए चार्ज कर रहे हैं जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर एक अस्पताल एक हफ़्ते के लिए 50,000 रुपए में इलाज प्रदान कर सकता है तो दूसरा अस्पताल एक दिन के 30,000 रुपए कैसे वसूल सकता है?
यह उम्मीद करते हुये कि प्राइवेट अस्पताल समय की नज़ाकत को समझते हुये मरीज़ों से वाजिब पैसे वसूलेंगे और सरकार को सहयोग देंगे, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इलाज के खर्चे तय करने संबंधी अंतिम फ़ैसला एक या दो दिनों के अंदर लिया जायेगा। उन्होंने दोहराया कि सरकार का प्राइवेट अस्पतालों को नुकसान पहुँचाने का कोई इरादा नहीं है, परन्तु इसके साथ ही सरकार बेबस और मजबूर मरीज़ों की अंधाधुन्ध लूट की इजाज़त नहीं दे सकती।