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भिलाई

बाल संप्रेक्षण गृह में आरक्षक को चाकू मारने वाले आरोपी को तीन साल कारावास

बाल संप्रेक्षणगृह में पुलिस कर्मचारी पर कातिलाना हमला करने वाले बसंतपुर राजनादगांव निवासी दीपेन्द्र गोड़ को दो प्रकरणों में दोषी ठहराया गया।

भिलाईJan 02, 2018 / 11:44 pm

Satya Narayan Shukla

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दुर्ग . महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पुलगांव में संचालित बाल संप्रेक्षण गृह में उपद्रव कर कर्मचारी और पुलिस कर्मचारी पर कातिलाना हमला करने वाले बसंत पुर राजनादगांव निवासी दीपेन्द्र गोड़ उर्फ मसान को दो प्रकरणों में दोषी ठहराया गया। न्यायाधीश दीपक के गुप्ता ने दोनो ही प्रकरण में गंभीर चोट पहुंचाने की धारा के तहत ३-३ साल कारावास में रहने का निर्देश दिया है। इस प्रकरण में खास बात यह है कि पुलगांव थाना पहुंचकर महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी आरके जामुलकर ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर कराया था। सुनवाईके दौरान आरके जामुलकर को न्यायालय ने पक्षद्रोह घोषित कर दिया।
अपचारी बच्चों ने कर्मचारियों व आरक्षक पर हमला कर दिया
प्रकरण के मुताबिक घटना ११ जुलाई२०१६ की है। बाल संप्रेक्षणगृह में रहने वाले आधा सैकड़ा बच्चों ने अचानक उत्पात मचाना शुरु कर दिया। संप्रेक्षणगृह में लगे लाइट व, टीवी व अन्य सामानों क ो तोडफ़ोड़ करना शुरू कर दिया। शोर शराबा सुनकर किशोर न्याय बोर्डकी तत्कालीन अध्यक्ष मोहनी कवर अपचारी बच्चों को समझाईश देने पहुंची थी, लेकिन अपचारी बच्चे अचानक आक्रोशित हो गए।अपचारी बच्चों ने वहां उपस्थित कर्मचारियों व आरक्षक पर हमला कर दिया। इस घटना के बाद अपचारी बच्चे लाठी, रॉड लेकर छत पर चढ़ गए और समझाईश के लिए घटना स्थल पर पहुंचे कलक्टर, न्यायाधीश, एसपी पर न केवल पथराव किया, बल्कि उन्हें अश्लील गालियां भी दी।
एक अधिकारी मुकरा, दूसरे ने किया समर्थन
प्रकरण में कुल २२ गवाह थे। एफआईआर कराने वाले तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी ने न्यायालय में बयान में बताया कि वह घटना की सूचना पर बाल संप्रेक्षणगृह पहुंचा था। वह तोडफ़ोड़ करते किसी बच्चे को करते नहीं देखा और न ही किस अपचारी बच्चे को हमला करते देखा।
आरक्षक संतोष देशमुख बीच में आ गया

वहीं तत्कालीन जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुरेन्द्र कौशिक ने न्यायालय में घटना का समर्थन करते बताया कि अपचारी बच्चे किशोर न्याय बोर्ड की अध्यक्ष मोहनी कवर पर हमला करने वाले थे। आरक्षक संतोष देशमुख बीच में आ गया। इसलिए वह गंभीर रुप से घायल हुआ।
एक साल बाद मानव अधिकार आयोग ने की जांच
खास बात यह है कि इस मामले में एक वर्ष बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार की टीम दिसंबर २०१७ में दुर्गपहुंची और पूरे प्रकरणक ी जांच की। जांच तीन दिनों तक चली। इस दौरान आयोग की टीम ने तत्कालीन कर्मचारी, अधिकारी व अपचारी बच्चों का बयान दर्ज किया। सेंट्रल जेल में निरुद्ध आरोपी दीपेन्द्र गोड़ उर्फ मसान का भी आयोग ने बयान लिया था। आरोपी मशान घटना के बाद से सेंट्रल जेल दुर्ग में निरुद्ध है।

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