सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से न्यायालय में तर्क दिया गया कि सीआरपीसी की धारा 91 के तहत आवेदन प्रस्तुत कर दस्तावेज उपलब्ध कराने और अवलोकन करने की मांग की गई है। यह प्रकरण प्री ट्रायल का है। इसलिए इसमें दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने अथवा अवलोकन की आवश्यकता नहीं है। पुलिस मेनुअल में भी खात्मा की सूचना पीडि़त व प्रार्थी को देने का प्रवधान है।
इस प्रकरण में अधिवक्ता अशोक शर्मा ने भी एसीबी में शिकायत की थी। न्यायालय ने खात्मा आवेदन पर पक्ष रखने अधिवक्ता को भी समंस जारी किया था। शनिवार को हुई सुनवाई में अधिवक्ता उपस्थित थे। उनका कहना था प्रकरण में पर्याप्त साक्ष्य है। शिकायकर्ता का बयान हो चुका है। इसलिए प्रकरण विचारण योग्य है। खात्मा न किया जाए।
1. मानसरोवर कालोनी योजना का दस्तावेज
2. विजय बघेल ने नगरीय निकाय में शिकायत की थी। इस शिकायत पर कलक्टर ने जांच की है और रिपोर्ट शासन को भेजा है। उस रिपोर्ट अध्यन के लिए अवसर।
3. मानसरोवर कालोनी में एलआईजी गु्रप के 18 प्लाट आवंटित किया गया है। किन व्यक्तियों को किस प्राथमिकता के आधार पर जमीन दी गई उसकी जानकारी। आवेदन व शपथ पत्र की प्रति उपलब्ध कराई जाए।
4. मानसरोवर कालोनी का स्वीकृत ले आउट
विजय बघेल ने एसीबी के समक्ष शिकायत करते हुए जानकारी दी है कि तत्कालीन पाटन विधायक भूपेश बघेल विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के मानद सदस्य थे। उन्होंने अपनी पत्नी मुक्तेश्वरी, माता बिन्देश्वरी बघेल दोनों के नाम से वसुंधरा नगर (उत्तर) में 15 बाई 24 मीटर आकार का भूखण्ड आवंटन के लिए आवेदन दिया था। उक्त आकार का प्लाट नहीं होने पर अधिकारियों ने दोनों आवेदिका को विभिन्न आय वर्ग के लिए आरक्षित मानसरोवर आवासीय योजना में उनके मन चाहे आकार के भूखण्ड दिलाने 6-6 आरक्षित प्लाट को एक बनाकर अवैध रुप से आवंटित कर दिया। इस शिकायत पर एसीबी ने 2017 में धारा 120 बी 13(1)डी , 13(2) के तहत अपराध दर्ज किया था।
सुदर्शन महलवार, लोक अभियोजक ने बताया कि इस प्रकरण में विजय बघेल प्रार्थी है। उनकी ओर से दस्तावेज उपलब्ध और अवलोकन कराए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया गया है। हमने न्यायालय में आवेदन का विरोध किया। कारण समेत तर्क बताया कि अवलोकन क्यों आवश्यक नहीं है। इस मामले में सुनवाई अब 10 अक्टूबर को होगी।