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पांच साल बाद करवा चौथ पर बन रहा शुभ संयोग, जानिए दो तिथियों के कारण किस दिन रखा जाएगा व्रत

Karva Chauth 2021: पति के दीर्घायु जीवन के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन को करवाचौथ कहते हैं।

भिलाईOct 20, 2021 / 04:55 pm

Dakshi Sahu

पांच साल बाद करवा चौथ पर बन रहा शुभ संयोग, जानिए दो तिथियों के कारण किस दिन रखा जाएगा व्रत

पांच साल बाद करवा चौथ पर बन रहा शुभ संयोग, जानिए दो तिथियों के कारण किस दिन रखा जाएगा व्रत

भिलाई. पति के दीर्घायु जीवन के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन को करवाचौथ कहते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर रविवार को पड़ रही है। करवा चौथ पर इस बार 5 साल बाद यह शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ के व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में की जाएगी। इसके अलावा रविवार को यह व्रत होने से भी इस सूर्यदेव का शुभ प्रभाव भी इस व्रत पर पड़ेगा। रात में चांद का दीदार करने और चलनी से पति का चेहरा देखने के बाद महिलाएं यह व्रत तोड़ती हैं।
24 अक्टूबर को रखा जाएगा व्रत
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस बार 24 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन रविवार पड़ रहा है। इस बार करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का आरंभ 24 अक्टूबर को रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर होगा और समापन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर होगा।
करवा चौथ व्रत का महत्व
करवा चौथ के व्रत को लेकर शास्त्रों में यह बताया गया है कि इसको करने से न सिर्फ पति की आयु लंबी होती है बल्कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की सारी परेशानियां भी दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। परिवार संकट से दूर रहता है। कहते हैं कि इस दिन माता पार्वती, शिवजी और कार्तिकेय का पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सुबह सरगी खाकर करते हैं व्रत
करवा चौथ के दिन सुबह उठकर सरगी का सेवन किया जाता है। उसके बाद स्नान करके घर के सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर व्रत का आरंभ किया जाता है। करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला किया जाता है। उसके बाद शाम के समय तुलसी के समक्ष बैठकर करवा चौथ के व्रत की विधि विधान से पूजा की जाती है। चांद निकलने से पहले थाली में धूप-दीप, रोली, अक्षत, पुष्प और मिठाई रख लें। करवे में अघ्र्य देने के लिए जल भर लें और फिर चांद निकलने के बाद अघ्र्य देकर छलनी से पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ लें।

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