scriptबस्तर की तर्ज पर यहां भी किसानों ने खोला मोर्चा, BSP के लिए अधिग्रहित अनुपयोगी भूमि, कृषि के लिए वापस करे सरकार | Agriculture Land capture by Bhilai steel Plant | Patrika News
भिलाई

बस्तर की तर्ज पर यहां भी किसानों ने खोला मोर्चा, BSP के लिए अधिग्रहित अनुपयोगी भूमि, कृषि के लिए वापस करे सरकार

भिलाई इस्पात संयंत्र स्थापित हुआ तब किसानों की 60 हजार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई। बीएसपी के अलावा करीब दो हजार छोटे बड़े अन्य उद्योगों की भी जमीन आवंटित की गई।

भिलाईJan 03, 2019 / 11:06 am

Dakshi Sahu

patrika

बस्तर की तर्ज पर यहां भी किसानों ने खोला मोर्चा, BSP के लिए अधिग्रहित अनुपयोगी भूमि, कृषि के लिए वापस करे सरकार

दुर्ग. बस्तर के लोहांडीगुड़ा में किसानों की जमीन लौटाने के सरकार के फैसले के बाद जिले के किसानों में यह उम्मीद जागी है कि सरकार उनकी जमीन भी लौटाने के लिए कदम उठाएगी। बीएसपी समेत अन्य उद्योगों के लिए किसानों से अधिग्रहित की गई जमीन का बड़ा रकबा वर्षों से खाली पड़ा है।
बस चुकी हैं अवैध बस्तियां
खाली जमीन पर कई अवैध बस्तियां तक बस चुकी है। बहुतायत में आवंटित जमीन का उद्योग के प्रायोजन में उपयोग ही नहीं हो रहा है। जिले में जब भिलाई इस्पात संयंत्र स्थापित हुआ तब किसानों की 60 हजार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई। बीएसपी के अलावा करीब दो हजार छोटे बड़े अन्य उद्योगों की भी जमीन आवंटित की गई।
35 फीसदी जमीन खाली है
बीएसपी को आवंटित जमीन का करीब १२ प्रतिशत और अन्य उद्योगों को आवंटित जमीन का करीब १२ फीसदी जमीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार यह जमीन किसानों को लौटाया जाना चाहिए। क्योंकि इसी नियम के तहत नई सरकार ने बस्तर के लोहांडीगुड़ा में किसानों की जमीन लौटाने का फैसला किया है।
बीएसपी की थी स्थापना
आजादी के बाद वर्ष 1955-56 में 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश से भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ जिले में औद्योगीकरण शुरू हुआ। इसके बाद भिलाई, दुर्ग, बोरई, जामुल सहित आधा दर्जन इलाकों में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना कर गांवों और किसानों की जमीन अधिग्रहित कर उद्योगों को दिए गए। इसके चलते भिलाई को औद्योगिक नगरी की पहचान भी मिली।
उद्योग के नाम पर दिखावा भी कर रहे
राज्य निर्माण के बाद भिलाई व दुर्ग सहित बोड़ेगांव में औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण किया गया। यहां करीब 2360.13 एकड़ जमीन 1221 उद्योगों के नाम पर बांटे गए। सड़क, ड्रेनेज, पार्क, पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल, ट्रक स्टैंड, रेलवे साइडिंग, ऑफिस, शॉप्स व अन्य प्रायोजन के लिए 965 एकड़ जमीन सुरक्षित रखी गई। उनमें आधे से भी अधिक जमीन खाली है। उसमें उद्योग ही शुरू नहीं किए। कुछ लोगों ने उद्योग लगाने के नाम पर टीन टप्पर डालकर दिखावा भी किया है। कुछ ने उद्योग के लिए आवंटित जमीन पर गोदाम बना लिया है या अन्य प्रायोजन में उपयोग कर रहे हैं।
राजस्व पुस्तक परिपत्र में यह प्रावधान
राजस्व पुस्तक परिपत्र और भूमि अधिग्रहण अधिनियम में औद्योगिक प्रयोजन में 5 साल तक इस्तेमाल नहीं होने पर जमीन भूमि मालिक को लौटाए जाने का प्रावधान है। बीएसपी और राज्य शासन के बीच इस नियम के अनुरूप अधिग्रहित जमीन पर केवल संयंत्र स्थापना व कर्मचारियों की सुविधाओं की व्यवस्था में उपयोग का समझौता हुआ था। इसी प्रावधान के तहत अन्य उद्योगों को भी जमीन आवंटित किए गए थे।
थर्ड पार्टी को लीज या बेकार पड़ी है जमीन
बीएसपी सहित दूसरे उद्योगों द्वारा समझौते के अनुरूप राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार उद्योग किसी भी थर्ड पार्टी को जमीन लीज पर नहीं दे सकता। जमीन को बेकार भी नहीं छोड़ा जा सकता। यहां बीएसपी ने साडा को 1900 हेक्टेयर, हुडको को 300 हेक्टेयर व कई निजी संस्थानों को जमीन लीज पर दे दिया है। वहीं करीब 10 फीसदी जमीन अनुपयोगी पड़े हैं।
हाइकोर्ट से खारिज हो चुका है हुडको फेज-2
बीएसपी ने नियम के विपरीत नेवई-उतई के पास करीब 200 हेक्टेयर जमीन हुडको को देकर हुडको फेस-2 योजना प्रस्तावित कर लिया था। 4 साल पहले हाइकोर्ट की एकल पीठ ने इसे अवैध करार देकर खारिज कर दिया था। हाइकोर्ट ने कहा था कि राज्य शासन की अनुमति के बिना प्लांट के लिए अधिग्रहीत भूमि कर्मचारियों सहित किसी तीसरे पक्ष को आबंटित नहीं किया जा सकता। इसके बाद भी नियमों को दरकिनार कर जमीन लीज में दी है।
यहां बेजा कब्जा है या फिर अनुपयोगी पड़े हैं…

नंदिनी माइंस व अहिवारा से लगे अधिकतर जमीन। यहां माइंस बंद हो चुका है। टाउनशिप भी उजाड़ है। आसपास के गांवों में सैकड़ों एकड़ जमीन अब भी खाली।
नेवई, मरोदा, उतई, डुमरडीह से लगा हुआ इलाका। नेवई,मरोदा, उतई की जमीन का बड़ा हिस्सा अवैध कब्जे के चपेट में। कई इलाका अभी भी अनुपयोगी।
भिलाई से लगे कुटेलाभाठा, रवेलीडीह, मोहलाई, पतोरा, परेवाडीह, देवरझाल, चुनकट्टा, मुड़पार सहित करीब एक दर्जन अन्य गांवों में टुकड़ों में जमीन। सुपेला बाजार एरिया फिलहाल अवैध कब्जे में हैं।
रसमड़ा और बोरई के ग्रामीण मांग रहे जमीन
वर्ष 1990 में बोरई रसमड़ा औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गई। इस दौरान बोरई व रसमड़ा सहित सिलियारीडीह, सेवती, सिलोदा, गनियारी के किसानों की 4५१ हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई। जमीन उद्योगों को आवंटित कर दी गई है, लेकिन अधिकतर उद्योग चल नहीं रहे। जिसके कारण ग्रामीणों को यहां रोजगार भी नहीं मिल रहा है। इसीलिए किसान जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं।
भूमि अधिकार रक्षा मंच कर रहा संघर्ष
भूमि अधिकार रक्षा मंच के अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता ने कहा कि नियम व समझौते के मुताबिक बीएसपी सहित दूसरे उद्योगों को उपयोग नहीं होने वाली जमीन सरकार के माध्यम से किसानों को लौटाना चाहिए। इसकी जगह थर्ड पार्टी को लीज पर देकर मुनाफा कमाया जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार को इसकी शिकायत कर किसानों को जमीन लौटाने की मांग की जा चुकी है। सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा।
मंत्री ने कहा – किसानों के मामले में सरकार गंभीर
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने अपने दुर्ग प्रवास के दौरान कहा कि सरकार किसानों के हित की हर बात पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के मामले में बेहद गंभीर है। इसी के तहत बस्तर के किसानों को जमीन वापस करने का निर्णय किया गया। वर्ष 2013 में जमीन अधिग्रहित की गई थी। 5 साल बाद भी जमीन का उपयोग नहीं किया गया। कंपनी ने असमर्थता भी जताई थी। जमीन वापसी की प्रकिया जल्द शुरू हो जाएगी, सरकार ने मुआवजे की राशि वापस नहीं लेने का भी निर्णय लिया है। चौबे ने कहा कि ऐसे दूसरे मामलों पर भी विचार किया जाएगा।

Home / Bhilai / बस्तर की तर्ज पर यहां भी किसानों ने खोला मोर्चा, BSP के लिए अधिग्रहित अनुपयोगी भूमि, कृषि के लिए वापस करे सरकार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो