50 फीसदी सरकारी आवास में अन्य लोग वर्षों से रह रहे हैं। जिन्हें निगम प्रशासन से एलॉट ही नहीं किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 3536 आवास निगम ने अलॉट किया है। इसमें 1589 आवास में अन्य लोग रह रहे हैं। 1267 आवास में एलॉटी निवासरत हैं। जवाहर नगर के 416 आवास खाली है। जिसे निगम प्रशासन से किसी को भी एलॉट नहीं किया है।
लोगों की शिकायत पर निगम प्रशासन ने सरकारी योजनाओं के तहत बनाई गई आवासों का सत्यापन के लिए छह जोन से छह टीम बनाई। टीम हर एक आवास में गए। वहां रहने वाले मुखिया एवं सदस्यों से आवंटन के बारे में पूछताछ की। उनका आधार कार्ड, पहचान पत्र और मोबाइल नंबर जुटाई।
– एलआईजी, बी, एच, आई और जी कैटेगिरी के 83 स्वतंत्र आवास पर कब्जा है।
– एलआईजी-32, बी-8, ई-6 , ए-4, ए-25 और ए-58 स्वतंत्र आवास के बाजू में खाली जमीन पर झोपड़ी बनाकर किराए पर दिया गया है।
– किराएदार से 1500 से 2000 रुपए प्रतिमाह किराया लिया जाता है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को आवास देने के लिए शासन ने बैंकों से ऋण लेकर वाल्मीकि आवास, इंटी ग्रेटिड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्लॉन(आईएचएसडीपी),शहरी निर्धन आवास(रैश्ने)आवास और अटल आवास आवास बनवाए हैं। 50-75 हजार रुपए में आवास आवंटित किए हैं। राशि को भी 150-500 रुपए प्रतिमाह की किस्त में जमा करने की सुविधा दी गई है। कई लोग न तो किस्त की राशि निगम में जमा कर रहे हैं। न बिजली का कनेक्शन लिया है। चोरी की बिजली से पंखा, टीवी, कूलर, फ्रिज चला रहे हैं। इसका आर्थिक भार निगम प्रशासन पर पड़ रहा है।
वाम्बे आवास- राधिका नगर, अयप्पा नगर, नेहरू नगर, कुरुद, जवाहर नगर, हुडको, वीर शिवाजी नगर, पुरैना,
अटल आवास- जवाहर नगर, अर्जुन नगर, सुभाष नगर,
आईएचएसडीपी- नेहरू नगर, कुरुद, घासीदास नगर, जवाहर नगर, वीर शिवाजी नगर