रहवासी क्षेत्र से सटी जमीन पर कचरा फेंकने और उसके निष्पादन का इंतजाम नहीं करने पर ट्रिब्यूनल ने तीनों नगरीय निकायों और बीएसपी को नोटिस थमा दिया है। इसमें 31 अगस्त तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की प्रभावी परियोजना बनाकर इन सभी को एनजीटी में हाजिर होना पड़ेगा।
इससे पहले एनजीटी की दलीप सिंह और डॉ. एसएस गर्बयाल की युगल पीठ ने जामुल के ट्रेंचिंग ग्राउंड की बदइंतजामी को लेकर भिलाई नगर निगम के खिलाफ की गई शिकायत पर सुनवाई की थी। पांच जुलाई की सुनवाई के दौरान भिलाई निगम कमिश्नर को बारिश शुरू होने से पहले कचरे की निष्पादन की व्यवस्था में सुधार लाने कहा था।
३ अगस्त को सुनवाई में निगम ने कहा कि टे्रंचिंग ग्राउंड में डंप कचरे का सेग्रीगेशन का ठेका देने और फिर एजेंसी के पीछे हट जाने की जानकारी दी। इसके अलावा अब बीएसपी के साथ कचरे से बिजली बनाने के प्रोजेक्ट पर अनुबंध की प्रक्रिया के बारे में बताया। एनजीटी को शिकायत पार्षद पीयूष मिश्रा ने की। उन्होंने कचरे का निष्पादन नहीं होने से बन रही भयावह स्थिति को ट्रिब्यूनल के सामने रखा।
नगरीय निकायों की सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लान को लेकर लापरवाही बताई, साथ ही ट्रेंचिंग ग्राउंड के फोटोग्राफ्स और वीडियो प्रस्तुत किए। नियमानुसार ट्रेंचिग ग्राउंड से करीब आधा किलोमीटर के दायरे में रहवासी क्षेत्र नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां आईएचएसडीपी आवास और जामुल के पास ही कचरा डंप किया जा रहा है। इससे बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी ट्रेंचिंग ग्राउंड को लेकर अनापत्ति नहीं मिली है।
आयुक्त केएल चौहान ने बताया कि एनजीटी का आदेश मिला है। अपना जवाख रखेंगे। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजा के मुताबिक पांच निकायों का ज्वाइंट वेंचर प्लान बनाया गया है। जिसके तहत बीएसपी के साथ अनुबंध किया गया है। बीएसपी कचरे से बिजली बनााएगी। बीएसपी ने ठेका देने के लिए निविदा भी बुलाई है। जामुल स्थित टे्रंचिंग ग्राउंड के कचरे का निष्पादन के लिए शासन स्तर पर कार्रवाइ चल रही है।
निगम मुख्यालय से ५ किलोमीटर दूर आईएचएसडीपी आवास बोगदा पुल जामुल के पास लगभग ९ एकड़ क्षेत्रफल में टे्रचिंग ग्राउंड है। टे्रचिंग ग्राउंड का बाउंड्रीवाल आईएचडीपी आवास से लगी हुई है। इसके अलावा भिलाई निगम के वार्ड-१६ कुरुद से लगी हुई है। यहां निगम और बीएसपी दोनों कचरा डंप करते हैं। रोज ४०० टन कचरा डंप होता है जिससे कचरे के पहाड़ बन गए हैं। जामुल में कचरा ले जाने वाली गाडिय़ों का रास्ता रोकने के बाद निगम ने आवासीय क्षेत्र की ओर बाउंड्रीवाल बनवाई है। पौधे भी लगवाए हैं। वाहनों के आने-जाने के लिए रास्ता बनवाया। कचरे को चैन माउंटिंग मशीन और बैकहो लोडर से समतल किया जा रहा है।
किवार ने धोखा दिया
दुर्ग-भिलाई निगम ने 2014 में किवार से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को लेकर अनुबंध किया, लेकिन विवादों के बाद किवार 18 महीने में काम छोड़ गई। इसके बाद हाल में धमतरी की एजेंसी को काम दिया गया, लेकिन उसने काम नहीं किया। इस एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार २०१३ से नगरीय निकायों सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और हथालन नियम लागू है। निकायों को घरों से सूखा और गीला कचरा अलग- अलग एकत्र करना है। गीला कचरे की छंटाई कर खाद बनाना है और सूखे कचरे को लैंडफिल में इस्तेमाल किया जाना है।