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भिलाई

कंपनी का दावा : 31 के बजाय 34 हजार खंभों पर लगाए एलईडी, पार्षदों ने कहा नेहरू नगर जोन के 2 हजार खंभों पर क्या कर रहे हैं हैलोजन

वार्डों के स्ट्रीट पोल पर एलईडी लाइट्स लगाने में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। खंभों पर एलईडी लाइट्स लगी नहीं है। एजेंसी ने सभी खंभों पर एलईडी लाइट्स लगाने का का दावा कर रही है।

भिलाईSep 22, 2018 / 09:47 pm

Naresh Verma

patrika

कंपनी का दावा : ३१ के बजाय ३४ हजार खंभों पर लगाए एलईडी, पार्षदों ने कहा नेहरू नगर जोन के २ खंभों पर क्या कर रहे हैं हैलोजन

भिलाई . वार्डों के स्ट्रीट पोल पर एलईडी लाइट्स लगाने में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। खंभों पर एलईडी लाइट्स लगी नहीं है। एजेंसी ने सभी खंभों पर एलईडी लाइट्स लगाने का का दावा कर रही है। निगम प्रशासन ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को ३४४५६ पुराने हैलोजन, सीएफएल, ट्यूब लाइटस के स्थान एलईडी लाइट्स लगाने की रिपोर्ट भेजकर में एजेंसी की दावे पर ओके का मुहर लगा दी है। हकीकत दावे के विपरीत है। नेहरू नगर जोन क्षेत्र के वार्ड के प्रमुख सड़कों के २ हजार से अधिक ट्यूबलर पोल पर हैलोजन, सीएफएल और ट्यूब लाइट्स लटके हुए हैं। नेहरू नगर जोन क्षेत्र के अनुसार ही पांच जोन क्षेत्र के खंभों की रैंडम जांच कराई जाए तो आंकड़े और बढ़ सकती है।
कोई ऐसा क्यों करेगा भला… तय संख्या से 3544 ज्यादा खंभों पर लगाई लाइट

निगम ने २७ अप्रेल को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को स्ट्रील पोल में एलईडी लाइट्स लगाने की प्रगति रिपोर्ट दी थी जिसमें यह कहा गया है कि २०१६ के सर्वे के ४७ वार्डों के ३०९१२ स्ट्रीट पोल पर लाइट्स की आवश्यकता बताई गई थी। इसके विरुद्ध ३४ हजार ४५६ खंभों पर विभिन्न वाट के एलइडी लाइट्स लगाई है। यानि 3544 लाइट्स अतिरिक्त लगाई गई। सवाल यह है कि कोई भी कंपनी नियम-शर्तों पर काम करती है। जितने का ठेका लिया उसके अतिरिक्त लाइट क्यों लगाई गर्ई, क्या इसके एवज में अतिरिक्त भुगतान किया गया? ऐसा नहीं है तो कंपनी मुफ्त में मेहरबान क्यों हो गई?
पार्षदों के सर्वे में यह गड़बड़ी आई सामने

खंभों पर क्षमता से कम वॉट की एलइडी लाइट्स लगाने की बात सामने आई।
जहां ३५ वॉट के एलईडी लाइट्स लगानी थी वहां १८ वॉट और जहां ११० वॉट के लाइट्स लगानी थी वहां ३५ वॉट की लाइट लगाई है।
कई ऐसे सड़क हैं जहां तिराहे पर दो लाइटस लगाना थी, लेकिन वहां केवल एक लाइट लगाई है।
एलईडी की रौशनी फैलती नहीं है। हैलोजन या सीएफल की रोशनी फोकस नहीं होने से फैलती है। एक बल्ब से काम चल जाता था।
नेहरू नगर चौक से केपीएस स्कूल रोड में पुराने सोडियम बल्ब और सीएफएल लाइट्स लगी हुई हैं।
फरीद नगर, लक्ष्मी नगर, गौतम नगर, राधिका नगर, आर्य नगर, पुरानी बस्ती कोहका में संकरी गलियों के खंभों पर एलइडी लाइट्स नहीं लगी है।
ऐसे में कैसे आएगी बिजली खपत में कमी

लाइट्स लगाने में जो गड़बड़ी सामने आई है। उससे निगम के अधिकारियों की भूमिका और बिजली की खपत के उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं। केन्द्र की भाजपा सरकार ने बिजली की खपत में कमी लाने के लिए ही अधिक खपत करने वाले सीएफएल, ट्यूब लाइट्स, हैलोजन को निकालकर एलईडी लाइट्स लगाने का निर्णय लिया है। इइएसएल कंपनी को पुरानी लाइट्स को बदलने, सात साल तक स्ट्रीट लाइट्स को बंद-चालू करने और खराब बल्बों को बदलने की शर्त पर ठेका दिया है।
जवाब मेरे पास नहीं

निगम के नोडल अधिकारी टीके रणदीवे का कहना है कि मेरा काम एजेंसी और जोन कमिश्नर के बीच लाइट्स लगाने में समन्वय बनाने का था। जोन से जितने खंभों की जानकारी दी गई थी। उससे अधिक खंभों पर एलइडी लगवा दी है। बाकी खंभे कैसे छूट गए। इसका जवाब जोन कमिश्नर ही दे सकते हैं?
कहीं कोई गड़बड़ी नहीं

प्रभारी इइएसएल मनीष मोदी का कहना है कि वर्क ऑर्डर के मुताबिक खंभों पर एलइडी लाइट्स लगाई गई है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं की हुई है। जोन अध्यक्ष एवं पार्षद भोजराम सिन्हा ने बताया कि किसी भी वार्ड के खंभों पर १०० फीसदी काम नहीं हुआ है। मैंने कुछ वार्डों का रेंडम सर्वे कराया है। उसमें ही २ हजार खंभों पर एलइडी लाइट्स नहीं लगाने की जानकारी सामने आई है।

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