यह भारतीय कलाकार कला के क्षेत्र में करीब 4 दशक से काम कर रहा है। देशभर में उन्होंने अपनी काबिलियत के झंडे गाड़े हैं। जिसके लिए उनको ढेर सारे पुरस्कार से सम्मानित किए हैं। जिसमें एक और पुरस्कार नेपाल का जुड़ गया।
इस भारतीय कलाकार ने 1992 में डोंगरगढ़ में गुरुद्वारा का दोहरा गुम्बद, 1990 में भिलाई का ईदगाह, उत्तर प्रदेश के मझौली राज में बाबा भोला शफीशाह का मजार, 2000 से 2010 तक, करामत शाह का मजार छिंदवाड़ा में 1997 से 2000 तक तैयार किया। प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्म स्थली जीरादेई, प्रखंड के एक ग्राम सींघई में आधुनिक भारतीय स्थापत्य कला विशेषज्ञ ने अपनी शील्प कला की अनोखी मिसाल पेश की है। उत्तर प्रदश के गाजीपुर जिले में संत हजरत अमानत रसुलशाह की दरगाह में गुम्बद का निर्माण, सीआईएसएफ-3 बटालियन के शास्त्रागार का तोप, दुर्ग में एकताद्वार, भिलाई का शिवमंदिर, कृष्ण मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, शंकर मंदिर, दल्ली राजहरा में बौद्ध मंदिर निर्माण किया।
भिलाई के इस कलाकार को बेहतर कला के लिए धरती पुत्र, तात्काली पर्यटन व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिया, सेक्टर-6 जामा मस्जिद के इमाम अजमलुद्दीन हैदर ने इनको मुजाहिदे मिल्लत सम्मान से सम्मानित किया। कला का जादुगर जैसे सम्मान से भी इनको सम्मानित किया जा चुका है।
भिलाई के इस कलाकार ने छत्तीसगढ़ के साथ-साथ मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल, आसाम में अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं। प्रदेश में दुर्ग, भिलाई, कवर्धा, धमतरी, कुरूद महासमुंद, बिलासपुर, रायपुर, गंडई राजनांदगांव में मंदिर, मस्जिद गुरूद्वारा, मदरसा, चर्च को आकर्षक रूप दिए।