उन्होंने कहा कि जब सुरक्षा सलाहकार कंपनी कंसलटेंट के तौर पर संयंत्र में काम करना शुरू करेगी, तब इस कार्य को वे खुद लीड करेंगे। संयंत्र में सुरक्षा के बेस्ट प्रेक्टिसेस को अपनाना होगा। गैस हादसे के बाद एक-एक परिवार से वे निजी तौर पर घर-घर जाकर मिले हैं। सुरक्षा को लेकर उनके मन में जो बात हैं, उसे वे बता नहीं सकते। इस पर बोलने से बेहतर है, करके दिखाना।
कर्मियों से कहा-दें सुरक्षा पर सुझाव
बीएसपी में सुरक्षित काम किया जा सके, इसके लिए कर्मियों से सुझाव मांगा जा रहा है। सुझाव देने वाले कर्मियों के नाम को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। ७० से अधिक सुझाव आ चुके हैं। एक कर्मचारी ने एक स्थान पर दुर्घटना की आशंका जताई तो तीन लोगों की कमेटी बनाकर उक्त स्थान पर भेजा जा रहा है।
सेफ्टी कमेटी गठन करने के सवाल पर रथ ने कहा कि बीएसपी में जब तक प्रतिनिधि यूनियन का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक सभी यूनियन को मिलाकर सेफ्टी कमेटी का गठन किया जाए। यह मंशा प्रबंधन की है। इसके लिए सभी यूनियन से अपील भी की जाएगी। यूनियनें आपस में छोटे-बड़े का भेदभाव न करें।
गैस हादसे में झुलसे कर्मचारी सेक्टर-9 में दाखिल हैं, उनका सबसे बेहतर उपचार किया जा रहा है। एम्स दिल्ली के विशेषज्ञों ने भी यह माना है। वर्तमान में झुलसे कर्मियों में २ की स्थिति क्रिटिकल है, शेष खतरे से बाहर हैं। रथ ने कहा कि गैस हादसा से सभी को एक गहरा आघात पहुंचाया है। पीडि़त परिवार को मिलने वाली सुविधा के लिए भटकना न पड़े। इसके लिए अफसरों की विशेष ड्यूटी लगा दी।
इस मौके पर दो मिनट का मौन रखकर दुर्घटना में मृत कर्मवीरों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) रीता बैनर्जी, निदेशक प्रभारी (चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाएं) डॉक्टर केएन ठाकुर, कार्यपालक निदेशक (वित्त व लेखा) बीपी नायक, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एके कबीसतपथी, महाप्रबंधक प्रभारी (कार्मिक व प्रशासन) अनुराग नागर, महाप्रबंधक (खदान) एके मिश्रा, महाप्रबंधक (कार्मिक)आरएन पंडा,उप महाप्रबंधक (जनसंपर्क) विजय मेराल, उप महाप्रबंधक (नगर सेवाएं) एके पति उपस्थित थे।
सेल की दूसरी यूनिट एक फैक्ट्री के तौर पर पंजीकृत है। वहां दुर्घटना होने पर पीडि़त को आसानी से अनुकंपा समेत अन्य सुविधाएं मिल जाती है। बीएसपी में ४३ फैक्ट्री पंजीकृत है। यहां संयंत्र के भीतर की सड़क में दुर्घटना हो, तो पीडि़त परिवार को अनुकंपा के तहत नौकरी नहीं मिल पाती।
जवाब- बीएसपी को एक फैक्ट्री के दायरे में रखना है या अलग-अलग ४३ फैक्ट्री के तौर पर, यह फैसला राज्य सरकार करती है। यह मामला प्रबंधन का नहीं है।
बीएसपी में डीजीएम व एजीएम स्तर के करीब 900 अधिकारी हैं। इनमें से 90 फीसदी जनरल शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं। रविवार को तो महज १४० अधिकारी ही ड्यूटी करते हैं। सभी का साप्ताहिक अवकाश रहता है। सुरक्षा का जिम्मा डीजीएम स्तर के अधिकारियों को दिए हैं। इन हालात में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का दावा कैसे किया जा सकता है?
जवाब- इस सवाल पर उन्होंने महाप्रबंधक प्रभारी अनुराग नागर को नोट करने कहा। साथ-साथ उन्होंने व्यवस्था को ठीक करने की बात कही।