scriptBSP गैस हादसा: बस एक प्लेट निकालनी थी, उत्पादन प्रभावित न हो इसलिए तीन महीने से अटकाए रखा क्लियरेंस | Bhilai steel plant gas pipe line blast case worker death | Patrika News
भिलाई

BSP गैस हादसा: बस एक प्लेट निकालनी थी, उत्पादन प्रभावित न हो इसलिए तीन महीने से अटकाए रखा क्लियरेंस

भिलाई इस्पात संयंत्र के कोक ओवन गैस पाइप लाइन हादसे में प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है।

भिलाईOct 15, 2018 / 03:17 pm

Dakshi Sahu

patrika

BSP गैस हादसा: बस एक प्लेट निकालनी थी, उत्पादन प्रभावित न हो इसलिए तीन महीने से अटकाए रखा क्लियरेंस

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के कोक ओवन गैस पाइप लाइन हादसे में प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है। ऊर्जा प्रबंधन विभाग पाइप के फ्लेंज ज्वाइंट को खोलकर एमएस प्लेट को निकालने के लिए तीन महीने पहले ही कोक ओवन विभाग से क्लियरेंस मांगा था, लेकिन विभाग के अधिकारी अपने यहां उत्पादन प्रभावित न हो इसलिए अनुमति नहीं दे रहे थे।
आखिर में 9 अक्टूबर को पाइप लाइन चार्जिंग का यह काम करना तय हुआ, लेकिन गैस आपूर्ति बंद करने के बजाए प्रेशर को कम करके चालू स्थिति में। हालांकि संयंत्र में सालों से ऐसा ही काम हो रहा है, लेकिन एक चिंगारी से भड़की आग ने 13 कर्मियों की जान ले ली। सिंटरिंग प्लांट-3 की मशीन क्रमांक-2 को कोक ओवन गैस आपूर्ति के लिए नई पाइप लाइन बिछाई गई है।
कोक ओवन बैटरी नंबर 11 के पीछे सीडीसीपी के पास मुख्य पाइप लाइन के पास यह कनेक्ट था। बस फ्लेंज ज्वाइंट को खोलकर एमएस प्लेट को निकालते ही एसपी-3 जाने वाली यह पाइप लाइन चार्ज हो जाती। चंद घंटे के इस काम के लिए ऊर्जा प्रबंधन विभाग को तीन महीने इंतजार करना पड़ा और भयानक हादसे में अपने विभाग के 9 दक्ष कर्मियोंं को खोना पड़ा।
ओवन पुशिंग कम नहीं करने का दबाव है
अगस्त में कोक आपूर्ति प्रभावित होने और तकनीकी दिक्कतों के कारण कोक ओवन बैटरी नंबर 11 में ओवन पुशिंग की दर घट गई थी। बाद में ब्लास्ट फर्नेस में दिक्कतों के कारण हॉट मेटल का उत्पादन भी गिरकर सात-आठ हजार टन तक आ गया था। अब फिर से उत्पादन लगभग 1४ हजार टन के पास पहुंचने लगा है, इसलिए सभी विभागों पर दबाव है कि अपने यहां उत्पादन की निरंतरता बनाए रखें। इसलिए भी कोक ओवन विभाग भी क्लियरेंस देने में अनाकानी करता रहा।
मरम्मत के दौरान नहीं लेते शटडाउन
जहां मरम्मत का काम चलता है, वहां अकसर पाइप में गैस बची रहने या लीकेज की शिकायत रहती है। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रबंधन उत्पादन प्रभावित न हो, इसलिए बिना शट डाउन लिए ही मरम्मत या पाइप लाइन कनेक्टिविटी का काम करवाता है। काम के दौरान पाइप से गैस लीकेज होती है और काम करने वाले जद में आ जाते हैं। जबकि जून 2014 में ब्लास्ट फर्नेस में हुए गैस हादसे की जांच के लिए बनी विभिन्न कमेटियों ने साफ कहा था कि गैस पाइप लाइन से जुड़े काम करते समय शट डाउन लेना जरूरी है, ताकि गैस लीकेज की आशंका ही न रहे।
इसलिए अटकाए रखाए काम

रनिंग कंडीशन में पाइप लाइन कनेक्ट करने के लिए संबंधित बैटरी में ओवन पुशिंग की दर कम करनी होती है ताकि कम गैस बने। पाइप लाइन में गैस का प्रेशर कम करने ओवन टॉप की टोपी खोलकर वातावरण में गैस छोडऩी होती है।
गैस को समायोजित करने एक्जास्टर को भी प्रॉपर ऑपरेट करना होता है। यह पूर काम हीटिंग एंड रेगुलेशन सेक्शन के जिम्मे होता है। पाइप लाइन में गैस का प्रेशर कम करने ओवन टॉप की टोपी खोलकर वातावरण में गैस छोडऩी होती है।
गैस को समायोजित करने एक्जास्टर को भी प्रॉपर ऑपरेट करना होता है। यह पूर काम हीटिंग एंड रेगुलेशन सेक्शन के जिम्मे होता है।
बिना क्लियरेंस मिले काम नहीं कर सकता ईएमडी
पूरे संयंत्र में कोक ओवन, ब्लास्ट फर्नेस और कनवर्टर गैस पाइप लाइन की कनेक्टिविटी, मरम्मत और देखरेख की पूरी जिम्मेवारी ऊर्जा प्रबंधन विभाग की होती है। विभाग कहां, क्या काम करना है, इसकी अपनी पूरी प्लानिंग तो कर लेता है, लेकिन जब तक संबंधित विभाग से क्लियरेंस नहीं मिलता, काम शुरू नहीं कर सकता।
इस काम में मुख्यत: पांच विभागों की भागीदारी होती है। ऊर्जा प्रबंधन के साथ-साथ गैस सेफ्टी, फायर बिग्रेड, संबंधित विभाग जिसके क्षेत्र में काम होना है और मेडिकल की टीम की। जॉब प्रोटोकॉल के तहत समन्वय बनाकर काम करना होता है। काम शुरू करने से पहले हर विभाग और टीम के सदस्यों की जिम्मेवारी तय होती है।

Home / Bhilai / BSP गैस हादसा: बस एक प्लेट निकालनी थी, उत्पादन प्रभावित न हो इसलिए तीन महीने से अटकाए रखा क्लियरेंस

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो