script… आखिर बीएसपी ने इन युवाओं के जीवन में कैसे भरा रंंग | Bhilai Steel Plant took the children of the village to adopt | Patrika News
भिलाई

… आखिर बीएसपी ने इन युवाओं के जीवन में कैसे भरा रंंग

बीएसपी ने गरीबों के जीवन में बदलाव लाने युवाओं की जिंदगी बदल दी है। वनांचल के यह युवा अब अपने सपने को नई उड़ान देने तैयार हैं।

भिलाईJun 21, 2019 / 07:00 pm

Abdul Salam

BHILAI

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भिलाई. बीएसपी के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग ने सीएसआर के तहत गरीबों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों ने रावघाट, राजहरा व परिधीय क्षेत्रों के युवाओं की जिंदगी बदल कर रख दी है। वनांचल के यह युवा अब अपने सपने को नई उड़ान देने के लिए तैयार हैं।
बीएसपी की दो योजना ने बदल दी इनकी जिंदगी
बीएसपी (Bhilai Steel Plant) दो योजनाएं चला रही है, इनमें अनुसूचित जाति, जनजाति बच्चों के अंगीकरण की योजना व होनहार छात्र को गोद लेने की योजना। इन योजनाओं के बेहतर परिणाम आने लगे हैं। बीएसपी की इन योजनाओं ने वनांचल के युवाओं की जिंदगी बदल कर रख दी है। इन योजनाओं के तहत गोद लिए गए बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ-साथ नि:शुल्क आवास, भोजन, कोचिंग, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति देने के प्रावधान हैं।
बच्चों ने भी किया मेहनत
संयंत्र के इस समग्र प्रयास के चलते ही 2018-19 के शैक्षणिक सत्र में गोद लिए गए 20 छात्रों ने 12 वीं की परीक्षा दी, जिसमें से 16 छात्रों ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास कर संयंत्र के प्रयासों को सार्थक किया। इनमें से चार मेधावी छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली जेईई मेंस व एक छात्र ने जेईई एडवांस की परीक्षा पास कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में प्रवेश की पात्रता हासिल कर संयंत्र के प्रयासों का मान बढ़ाया है। संयंत्र ने ज्ञानोदय छात्रावास में इन प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई। इसी की वजह से इन छात्रों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना डंका बजाया है।
डिकेश का ख्वाब है कंपनी खोलने का
इन छात्रों में एक का नाम है डिकेश, उसका कहना है कि बीएसपी के प्रयासों ने उसने सपनों को पंख लगा दिए। वह ग्राम डुमरडीह, पतोरा का रहने वाला है। उसके पिता कृषक बामो कुमार व मां बबिता है। बीएसपी ज्ञानोदय छात्रावास के छात्र डिकेश ने 12 वीं में मेरिट में 92.4 फीसदी अंक अर्जित कर प्रथम स्थान पाया। जेईई मेंस में 30,441 रैंक हासिल कर एनआईटी में प्रवेश की पात्रता हासिल की। उसने सीजी-पीईटी में 50 वां रैंक हासिल किया है। डिकेश ने उतई के स्कूल से 10 वीं की परीक्षा पास की। बीएसपी ने इसे होनहार स्कीम के तहत गोद लिया था। उसका ख्वाब पढ़ाई पूरी करने के बाद खुद की कंपनी खोलने का है।
कम्प्यूटर इंजीनियर बनने की चाहत
आशीष का कहना है कि बीएसपी ने उसके भविष्य को संवार दिया है। बालोद के एक छोटे से गांव पथराटोला का रहने वाला है। पिता राजेंद्र कुमार नायक व मां पुष्पा बाई के इस बेटे ने 12 वीं में 76.8 फीसदी अंक प्राप्त किया। जेईई मेंस के साथ आशीष ने जेई एडवांस में वर्ग विशेष में 547 रैंक हासिल कर आईआईटी में दाखिला के लिए पात्रता हांसिल की है। आशीष भविष्य में कम्प्यूटर इंजीनियर के रूप में देश की सेवा करना चाहते हैं। इसका चयन ट्राइबल योजना के तहत दल्ली राजहरा से ६ वीं में हुआ था।
इंजीनियर बनकर करना चाहता है खुद का बिजनेस
रोशन को बीएसपी पर गर्व है। वह कहता है कि क्वालिटी एजुकेशन से लेकर कोचिंग तक सब कुछ नि:शुल्क मिला। प्रबंधन ने गोद लेकर जीवन को संवार दिया। साल्हे गांव में रहने वाले रोशन के पिता धनीराम का निधन हो चुका है। मां मालती के बेटे ने 12 वीं में 81.6 फीसदी अंक हासिल किए। खेती-किसानी कार्य से संबंध रखने वाले रोशन ने सीजी पीईटी में 181 और जेईई मेंस में 14,000 रैंक हांसिल किए। एनआईटी में कम्प्यूटर साइंस कर वह बिजनेस करना चाहता है।
मोबाइल ऐप बनाने का बुन रहा है सपना
उमेश्वर मानना है कि वह भिलाई नहीं आता तो शायद गांव में खेतों पर काम करते जीवन गुजार देता। भिलाई ने उसकी सोच को नई ऊंचाई दी है। वह ग्राम कोड़ेकसा, बालोद का रहना वाला है, वह हरिराम व सोहद्र बाई का बेटा है। उसने 12 वीं 67.4 फीसदी अंक से पास किया। दल्लीराजहरा बीएसपी स्कूल से मिडिल व हायर सेकेंडरी स्तर तक पढ़ाई की। ट्राइबल योजना के तहत गोद लिए ज्ञानोदय छात्रावास के छात्र ने 13,232 रैंक हासिल कर एनआईटी में चयन की पात्रता हांसिल की। उन्होंने सीजी-पीईटी में 733 वां रैंक हांसिल किया। उमेश्वर किसान का बेटा है, लेकिन उसकी सोच मोबाइल ऐप बनाने की है। वह एक कंपनी खोलने का सपना बुन रहा है।

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