प्रबंधन ने तलाशा आय का जरिया
मैत्रीबाग प्रबंधन को पहले झील में नौका विहार के बदले मोटी रकम आय होती थी। इससे राजस्व में इजाफा हो रहा था। अब वहां नया ठेका होना है। इस बीच जवाहर उद्यान का हिस्सा मैत्रीबाग में जुड़ गया। जिसमें पहले से ही बड़ा तालाब है। उस तालाब में बहुत अधिक गंदगी और कचरा भरा था। जिसके कारण यहां कोई काम नहीं हो पा रहा था। तब प्रबंधन ने इसे ठेके पर देने का फैसला किया।
दो साल के लिए गया ठेके पर
मैत्रीबाग में जवाहर उद्यान के इस तालाब को प्रबंधन ने दो साल के लिए इसे ठेके पर दे दिया है। यहां ठेकेदार पहले मछली का बीज लाकर डालेगा, इसके बाद उसके बड़े होने तक निगरानी करेगा। जब मछली बड़ी हो जाएगी, तब उसे बेचा जाएगा। इस तरह से यह काम नियमित तौर पर जारी रहेगा।
नौका विहार है बंद
नौका विहार बंद है, इस तालाब को भी प्रबंधन ठेके पर दे सकता है। यहां पर्यटकों का आना जाना रहता है। इस वजह से इस दिशा में विचार नहीं किया गया है। मैत्रीबाग के वन्य प्राणियों पर जिस तरह से खर्च हो रहा है, उसको देखते हुए प्रबंधन को राजस्व बढ़ाने कोई दूसरा रास्ता भी तलाशना होगा।
आलिशान रेस्टोरेंट की जरूरत
मैत्रीबाग में बड़ा और आलिशान रेस्टोरेंट नहीं है। यहां एक छोटा से कैंटीन है, जिसमें बाहर से आने वाले पर्यटक बैठना तक पसंद नहीं करते। यहां कैंटीन के संचालक को नया निर्माण करने की अनुमति नहीं है। प्रबंधन ने टीना से एक दुकान जैसा बनाकर दे दिया है। जिसे दशकों से चलाया जा रहा है। यहां की कैंटीन से जिस तरह से प्रबंधन को हर माह करीब 3 लाख रुपए मिलते हैं। उसमें से पचास फीसदी रकम भी निर्माण में खर्च की जाती है, तो शानदार रेस्टोरेंट बन जाएगा। इस ओर प्रबंधन ध्यान ही नहीं दे रहा है। जिसकी वजह से यहां की खूबसूरती पर पैबंद जैसी स्थिति है।