केंद्रे ने बताया कि रंगमंच को कॅरियर की तरह देखने वाले युवाओं की प्रदेश में कमी नहीं है। अभी हमारे युवाओं को रंगमंच की बारीकियां सिखाने के लिए इप्टा जैसे संस्थाएं कार्यरत है, लेकिन स्टडी सेंटर मिलने के बाद युवा यहां एक साल से लेकर ३ साल के डिग्री या डिप्लोमा कोर्स कर सकेंगे। एनएसडी का प्रमाण पत्र होने की वजह से टेलीविजन और फिल्म जगत का रास्ता भी खुलेगा। युवाओं में रंगमंच के प्रति रुचि का पता लगाने और उन्हें एक स्तर देने के लिए 20 दिवसीय कार्यशाला कराई गई, जिसमें सभी ने बेहतर सीखा। यह कार्यशाला सफल रही।
केंद्रे ने कहा कि वे नैपोटिज्म यानि परिवादवाद पर विश्वास नहीं करते। उनके मुताबिक रंगमंच से लेकर टीवी और फिल्म जगत में वही टिक पाएगा, जिसके पास टैलेंट होगा। उन्होंने कई उदाहरण देकर कहा कि ऐसे कई एक्टर है, जो अपने समय में सुपर हिट रहे हैं, लेकिन उनके बच्चे के पास आज काम नहीं है। परिवारवाद सिर्फ मौका दिला सकता है, लेकिन खुद को स्थापित करने के लिए टैलेंट चाहिए होगा। उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि अधिकतर युवाओं के मन में शंका होती है, कि रंगमंच या ड्रामा के बाद उन्हें कोई मुकाम मिलेगा भी या नहीं। केंद्रे ने साफ कहा कि बेहतर इंसान और शानदार कलाकार की पूछपरख हर जगह है। इसलिए बिना किसी झिझक अपने टैलेंट को साथ लेकर ही इस विधा में शामिल होना चाहिए।