इस्पात श्रमिक मंच के महासचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि 2007 वेतन समझौते के पहले जहां कर्मियों को वेतन का 3.5 फीसदी सालाना वेतन इजाफा का फायदा होता है। वहीं क्लोज एंडेड स्केल होने से सालाना इंक्रीमेंट के साथ-साथ इसका प्रभाव सीपीएफ, ग्रेच्युटी, पक्र्स और पेंशन पर हुआ है। एक ओर अफसरों के वेतन स्ट्रक्चर में ग्रोथ और इन्क्रीमेंट का पूरा ध्यान रखा है। वहीं कर्मियों का पूरे ग्रेड के शुरआती बेसिक 15,600 को महज 2,200 रुपए के दरमियान समेट दिया है। जिससे प्रमोशन में फिटमेंट का लाभ नहीं मिलता।
संयुक्त यूनियन ने बताया कि 2007 वेतन समझौते में पे स्केल क्लोज एंडेड होने का मुख्य जिम्मेदार एनजेसीएस यूनियन है। 2009 में 30 फीसदी एमजीबी और 46 फीसदी पक्र्स के लिए राउरकेला में हड़ताल हुई थी। हड़ताल बुलाने वाली यूनियन ने प्रबंधन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उस समय हड़ताल से हुए 6 से 9 करोड़ का नुकसान था। जिसकी भरपाई पे स्केल को सीमित कर की गई।
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव शेख महमूद ने बताया कि राउरकेला में अभूतपूर्व हड़ताल के बाद कंपनी ने पूर्व निर्धारित 21 फीसदी मिनिमम गारंटेड बेनिफिट के साथ साथ वन टाइम आधा फीसदी इंक्रीमेंट देने पर सहमति हुई थी, लेकिन वेतन स्केल को क्लोज एंडेड स्केल लागू कर दिए। जिसके चलते कर्मियों का सालाना इंक्रीमेंट 3 फीसदी के स्थान पर 2.25 फीसदी तक आकर रुक गया है। जिसका नुक्सान 10 साल में 8 फीसदी से अधिक का हुआ है।