मृतक की पत्नी ने कहा कि उसके पति ड्यूटी में थे और अन्य दिनों की तरह टिफिन लेकर सामान्य पाली में काम पर गए। रात 9 बजे के बाद वापस नहीं लौटने पर फोन से जानकारी ली। वहां से जानकारी मिली कि मंचू प्लांट में जरूरी काम कर रहा है लौटने में लेट हो जाएगा। पत्नी ने मुताबिक प्लांट में अतिरिक्त काम के नाम पर उनको रोका जाता था। रविवार को अवकाश के दिन भी काम होने पर ड्यूटी में बुलाया जाता था। ड्यूटी के दौरान उनके कपड़े अलग होते थे। प्लांट जाने व आने के दौरान घर के कपड़े को पहनकर जाते थे। उन्हें हॉस्पिटल में जब दाखिल किया गया, तब वे ड्यूटी ड्रेस में थे, इससे साफ होता है कि घटना के समय ड्यूटी पर थे।
ठेका श्रमिक की बेटी बरखा ने बताया कि कॉउंसलिंग के दौरान चिकित्सक ने बताया कि उसके पसली में फेक्चर है, स्थिति नाजुक है। डॉक्टर से ही उनको मालूम हुआ कि पसली में गंभीर चोट है, जिसके कारण हालत अधिक नाजुक है।
श्रमिक के परिजन पहले सेक्टर-९ हॉस्पिटल गए। इसके बाद वहां से थाना पहुंचे। जहां ठेकेदार भी आया। थाना में दोनों पक्ष से प्रभारी ने चर्चा की। इस मौके पर बीएसपी की ओर से आईआर विभाग के मधु स्वर्णकार भी मौजूद थे। इसके बाद अंतिम संस्कार के लिए ठेकेदार ने पीडि़त परिवार को बीस हजार देने की बात कही। इसके साथ-साथ ईएसआई के तहत मिलने वाले पेंशन के लिए जो भी खर्च आएगा उसे भी वहन करने की बात पुलिस के सामने कही। इसके बाद पीडि़त परिवार राजी हो गया और पीएम के लिए शव लेने रवाना हुआ।
पुलिस को ठेकेदार ने बताया कि मृतक ड्यूटी से अपने दोस्तों के साथ जोरा तराई में पार्टी मनाने एक साथी के पास गया था। वहां से जोरा तराई गेट से लौट रहा था, तब रास्ते में किसी वाहन ने ठोक दिया, जिससे वह गिर गया। जिसने देखा उसने फोन कर मेन मेडिकल पोस्ट से एंबुलेंस मंगवाकर उसे पहले मेन मेडिकल पोस्ट फिर सेक्टर-९ हॉस्पिटल भेजा। जहां आईसीयू में दाखिल किए, शनिवार को पूरे दिन उसकी हालत खराब थी और रविवार की सुबह दम तोड़ दिया। ठेकेदार को यूनियन व परिजन यह कहकर खारिज कर रहे हैं कि जब अच्छा कपड़ा ड्यूटी में था, तो पाटी मनाने ड्यूटी वाले कपड़े में क्यों जाएगा। वे आशंका जता रहे हैं कि प्लांट में काम के दौरान घटना हुई है।