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भिलाई

ई जीरो परीक्षा नहीं होने से नाराज BSP कर्मचारी और अधिकारी पहुंचे कोर्ट, जबलपुर ट्रिब्यूनल ने पूछे तीखे सवाल

जबलपुर ट्रिब्यूनल कोर्ट में ई-जीरो परीक्षा को लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन और यूनियनों के बीच मामले की सुनवाई हुई।

भिलाईJan 17, 2021 / 04:40 pm

Dakshi Sahu

भिलाई. जबलपुर ट्रिब्यूनल कोर्ट में ई-जीरो परीक्षा को लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन और यूनियनों के बीच मामले की सुनवाई हुई। प्रबंधन अपने जवाब में 2010 के बाद 7 वर्षों तक कर्मचारियों के अधिकारी वर्ग में पदोन्नति की कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं करने का कारण नहीं बता सका। इसी के साथ पीडि़त वर्ग के कर्मचारियों के लिए क्या क्षतिपूर्ति दी गई इसका भी जवाब प्रबंधन ने नहीं दिया है। ज्ञात हो कि 2008 में लागू की ई-जीरो पॉलिसी में प्रत्येक 2 वर्ष में ई जीरो परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान था।
भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सेल में ई ज़ीरो परीक्षा को लेकर प्रबंधन के रुख से कर्मियों में आक्रोश रहा है। वर्ष 2010 के बाद एक लंबे अंतराल तक ई-जीरो परीक्षा आयोजित न कर सेल प्रबंधन ने जहां एक तरफ अपनी रिक्रूटमेंट पॉलिसी और तत्कालीन ई-जीरो पॉलिसी को नजरअंदाज किया है वहीं वरिष्ठ कर्मचारियों के भविष्य के साथ भी स्पष्ट रूप से खिलवाड़ हुआ है। इस मामले में प्रबंधन के विरुद्ध भिलाई की यूनियनों ने औद्योगिक परिवाद दायर किया था। सुलह समझौता नहीं होने के कारण अब जबलपुर कैट में इसकी सुनवाई चल रही है। प्रबंधन के जवाब को यूनियनों ने पूरी तरह खारिज कर दिया है।
वर्तमान पॉलिसी के प्रावधान भी नजरअंदाज
2017 में प्रबंधन ने बिना अदालत और यूनियन को विश्वास में लिए एक नई ई-जीरो पॉलिसी लागू कर दी। इस पॉलिसी में भी 1 वर्ष के अंतराल में परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान है। इस पॉलिसी के प्रावधान मुताबिक जून 2020 में ई जीरो की नई बैच का प्रोमोशन हो जाना था। किंतु प्रबन्धन ने समय बीत जाने के बावजूद इस कोई कदम नही उठाया है।
नई पॉलिसी भी सवालों के घेरे में
वर्ष 2017 लाई गई पॉलिसी में खामियों के चलते कर्मचारी वर्ग ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। नई पॉलिसी में जहां वरिष्ठता को दरकिनार किया गया है। वहीं प्रमोशन को मात्र 2 फीसदी तक सीमित किया गया है। इससे होने वाली परीक्षा में 98 फीसदी कर्मचारियों का सफल होना निश्चित है। यह एक मनोबल गिराने वाली पॉलिसी ही साबित हुई है।
कर्मियों के हक के लिए नि:स्वार्थ रूप से लड़ रही है यूनियन
इस्पात श्रमिक मंच के अध्यक्ष भाव सिंह सोनवानी ने बताया कि कर्मचारियों के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनकी यूनियन निस्वार्थ रूप से वर्ष 2015 से संघर्ष कर रही है। न कभी यूनियन ने आर्थिक मदद मांगी है और न ही इसे चुनावी मुद्दा बनाने का विचार किया है। यूनियन पूरी इमानदारी से अपना प्रयास आगे भी जारी रखेगी। इस्पात श्रमिक मंच के कार्यालय में कार्यकारिणी और सदस्यों की मीटिंग 16 जनवरी शनिवार को शाम 7 बजे रखी गई है।

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