2017 में प्रबंधन ने बिना अदालत और यूनियन को विश्वास में लिए एक नई ई-जीरो पॉलिसी लागू कर दी। इस पॉलिसी में भी 1 वर्ष के अंतराल में परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान है। इस पॉलिसी के प्रावधान मुताबिक जून 2020 में ई जीरो की नई बैच का प्रोमोशन हो जाना था। किंतु प्रबन्धन ने समय बीत जाने के बावजूद इस कोई कदम नही उठाया है।
वर्ष 2017 लाई गई पॉलिसी में खामियों के चलते कर्मचारी वर्ग ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। नई पॉलिसी में जहां वरिष्ठता को दरकिनार किया गया है। वहीं प्रमोशन को मात्र 2 फीसदी तक सीमित किया गया है। इससे होने वाली परीक्षा में 98 फीसदी कर्मचारियों का सफल होना निश्चित है। यह एक मनोबल गिराने वाली पॉलिसी ही साबित हुई है।
इस्पात श्रमिक मंच के अध्यक्ष भाव सिंह सोनवानी ने बताया कि कर्मचारियों के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनकी यूनियन निस्वार्थ रूप से वर्ष 2015 से संघर्ष कर रही है। न कभी यूनियन ने आर्थिक मदद मांगी है और न ही इसे चुनावी मुद्दा बनाने का विचार किया है। यूनियन पूरी इमानदारी से अपना प्रयास आगे भी जारी रखेगी। इस्पात श्रमिक मंच के कार्यालय में कार्यकारिणी और सदस्यों की मीटिंग 16 जनवरी शनिवार को शाम 7 बजे रखी गई है।