बाड़ा व ब्रिज किया जाएगा तैयार वीआईपी रास्ता तैयार होने के बाद मैत्रीबाग के जद में आ चुके जवाहर उद्यान एरिया के भीतरी हिस्से में सफाई का काम किया जाएगा। यहां मौजूद जंगली झाडिय़ों को साफ करेंगे। इसके बाद जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया से अप्रूव हो चुके नक्शे के मुताबिक बाड़ा तैयार किया जाएगा। प्रबंधन हर बाड़ा को बेहतर बनाने की बात कह रहा है। इसके साथ-साथ भीतरी सड़क, ब्रिज, कल्वट, पानी निकासी की व्यवस्था रहेगी। यहां अब तक सिर्फ बाउंड्रीवाल का काम किया जा सका है।
दरियायी घोड़ा भी रांची में रांची में दरियायी घोड़ा भी है। मैत्रीबाग में सफेद बाघ व नील गाय के केज के बीच में एक बड़ा बाड़ा बना हुआ है। इस बाड़े के आधे हिस्से की जमीन पेड़ों के साथ ऊंचाई में है। जहां की जमीन हमेशा सूखी रहती है। वहीं आधे हिस्से में पानी भरा हुआ है। इस तरह के बाड़ा में दरियायी घोड़ा आसानी से रह सकता है। दरियायी घोड़ा एक्सचेंज में मैत्रीबाग प्रबंधन को दूसरे जू से मिल रहा है।
दरियायीघोड़ा के लिए लगाना होगा टाइल्स मैत्रीबाग प्रबंधन को इस बाड़े के आधे हिस्से को और गहरा कर टाइल्स लगाना होगा। जिससे इसमें पानी साफ नजर आए और पानी को जब चाहे प्रबंधन निकाल कर साफ पानी भर सके। इससे दरियायी घोड़ा यहां रखा जा सकेगा और टाइल्स की वजह से पानी के भीतर भी पर्यटकों को नजर आएगा। प्रबंधन का इस मामले में साफ कहना है कि जू अथॉरिटी के मापदंड के मुताबिक जब तक बाड़ा तैयार नहीं कर लेते, तब तक दरियायी घोड़ा नहीं लाया जा सकता।
सफेद मोर भी है वहां रांची के जू में सफेद मोर भी है। पर्यटक मैत्रीबाग में सफेद मोर को देखना चाहते हैं। सफेद बाघ देकर प्रबंधन मोर लेकर आ सकता है। पांच राज्य से ३३ ने लिया हिस्सा
रांची में विलुप्त होती वन्य प्राणियों की प्रजातियों की संख्या को बढ़ाने के लिए एक सेमिनार हुआ। जिसमें पांच राज्य से ३३ लोग पहुंचे थे। जिसमें टाटा जू, बोकारो जू, अलीपुर जु, दार्जलिंग जू, कानन पेंडरी, बिलासपुर, जंगल सफारी, रायपुर, मैत्रीबाग भिलाई, राउरकेला शामिल है।
६ दिन चला क्लास वन्य प्राणियों से संबंधित खास जानकारी देने के लिए क्लास करीब ६ दिन चला। जिसमें वन्य प्राणियों की संख्या किस तरह से बढ़ाई जा सकती है। वह जानकारी दी गई। इसके साथ-साथ उनको किस तरह से जू में रखना चाहिए, यह भी बताया गया।
जंगल जैसा महसूस हो वन्य प्राणियों को जू में वन्य प्राणियों को जंगल जैसा महसूस हो, यह कोशिश करने बताया गया। जू में मोर अगर है, तो उसे उडऩे के लिए दूर तक जगह मिलना चाहिए। इतना बड़ा केज बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा केज के भीतर पेड़ हों, जिससे वन्य प्राणियों को जंगल असल में वहां दिखे।