बीएसपी के सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग में डेवलपमेंट असिस्टेंट के रूप में वे लगातार ३5 वर्षो से गांव-गांव जाकर महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वे कहती हैं कि बचपन में जब वे लोकगीतों में नारी की भूमिका को सुनती थी, तो उनके जेहन में यही बात बस गई कि वे बड़ी होकर महिलाओं के लिए ही कार्य करेंगी।
पहले लोककला और फिर इस कला के जरिए समाजसेवा से जुड़कर उन्होंने हमेशा नारी शिक्षा, स्वास्थ्य, संरक्षण, सुरक्षा और सम्मान के लिए कार्य किया। महिला सशक्तिकरण पर लिए अपने गीत हमन नारी आवनिया.. को गुनगुनाते हुए वे कहती हैं कि जब भी वे किसी कार्यक्रम में जाती है तो इस गीत को जरूर गाती है, ताकि इस गीत के माध्मय से वे महिला शक्ति को बता सकें कि वे अबला नहीं सबला है।
रजनी बताती हैं कि लोककलाकार होने की वजह से उन्हें बीएसपी में नौकरी मिली और उन्हें ऐसा विभाग मिला जहां समाजसेवा से वे सीधे जुड़ गई। बीएसपी के सीएसआर (सामाजिक निगमित जिम्मेदारी ) डिपार्टमेंट के जरिए वे गोदित गांव में जाकर महिलाओं और बच्चों के शिक्षा स्वास्थ्य, शिक्षा और उनके आत्मनिर्भर बनाने के क्षेत्र में कार्य कर रही है। वे बताती हैं कि वे महिलाओं को प्रेरित करती हैं कि वे जिस चीज में माहिर है, उस प्रतिभा को निखारें। स्वसहायता समूह के जरिए आत्मनिर्भर बनें ।